New Delhi : चीन से सीमा तनाव के बीच भारतीय सेना इजरायली ड्रोन्स हेरोन को लेजर गाइडेड मिसाइलों और एंटी टैंक मिसाइलों से लैस करना चाहती है। इससे दुश्मन के ठिकानों और आर्मर्ड रेजिमेंट्स को तबाह किया जा सकता है। चीता नाम के इस प्रॉजेक्ट की समीक्षा की गई है। यह प्रॉजेक्ट काफी समय से लंबित है। इस पर 3500 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। इस प्रॉजेक्ट के तहत तीनों सेनाओं के करीब 90 हेरोन ड्रोन्स को अपग्रेड किया जायेगा। ड्रोन्स में लेजर गाइडेड हवा से जमीन पर और हवा से लॉन्च किये जाने वाले एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को लोड किया जायेगा।
Amid tensions with China, armed forces push case for arming Israeli drone fleet with laser-guided bombs, missiles
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— ANI Digital (@ani_digital) August 9, 2020
सरकारी आधिकारिक सूत्रों ने एएनआई को यह जानकारी दी है। इसमें सरकार के करीब 3500 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। सरकार के सूत्रों के हवाले से न्यूज एजेंसी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में तीनों सेनाओं के 90 हेरोन ड्रोन को लेजर-गाइडेड और मिसाइलों के साथ अपग्रेड किया जायेगा। मामले पर डिफेंस सेक्रेटरी अजय कुमार समेत हाई-लेवल डिफेंस मिनिस्ट्री बॉडी विचार कर रही है।
प्रपोजल के मुताबिक, सशस्त्र बलों ने ड्रोन से दुश्मनों के ठिकानों पर नजर रखने की बात कही है। भारत के मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग इंड्यूरेंस ड्रोन को अनमैन्ड एरियल व्हीकल कहा जाता है। इनमें हेरोन भी शामिल है। जिन्हें सेना और वायुसेना ने चीनी सीमा से लगे हुये लद्दाख सेक्टर की फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात किया है। इन ड्रोन की वजह से चीन की डिसइंगेजमेंट प्रोसेस को वेरिफाई करने में भी मदद मिलती है और इनडेप्थ एरिया में चीनी सेना के मूवमेंट का भी पता चलता रहता है। यह एक बार में दो दिन तक उड़ सकता है और 10 किलोमीटर की ऊंचाई से दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकता है।
A proposal to equip around 100 Heron drones would be taken up by the defence ministry for approval as Indian armed forces want to strengthen their strike and reconnaissance capabilities using the unmanned systems. pic.twitter.com/YRMCrol5u1
— Alpha Wolf (@AlphaWo40963407) August 9, 2020
भारत के मध्यम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों के बेड़े में हेरोन्स सहित अधिकतर इजरायली हैं। पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा के अग्रिम इलाकों में इन्हें सेना और एयरफोर्स ने तैनात किया है। सूत्रों ने बताया कि इन अपग्रेड होने के बाद इन ड्रोन्स का इस्तेमाल परंपरागत सैन्य ऑपरेशन के लिये भी होगा। टोही क्षमता में विस्तार के बाद सेना जमीन पर सटीकता से यह पता लगा सकती है कि दुश्मन कहां छिपे हुये हैं। सेटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम के जरिये इन्हें दूर से ही कंट्रोल किया जा सकता है।