सुप्रीम कोर्ट ने कहा – फर्जी खबरों से बढ़ा मजदूरों का पलायन, इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से Corona Virus के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर संतोष व्यक्त किया है। हालांकि, सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में इसको लेकर फैलाई गई फर्जी खबरों पर कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग माध्यमों से फैलाई गई फर्जी खबरों की वजह से प्रवासी मजदूरों का बड़ी संख्या में शहरों से अपने गांवों को पलायन हुआ।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा, केंद्र की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद, हम कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से संतुष्ट हैं। कोर्ट ने कहा – शहरों में बड़ी संख्या में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों में आतंक उस समय फैला जब कुछ फर्जी खबरें सामने आने लगी, जिसमें ये कहा गया कि लॉकडाउन तीन महीने से अधिक समय तक जारी रहेगा।
मजदूरों को भारी पीड़ा का करना पड़ा सामना : कोर्ट ने कहा – इस तरह की फर्जी खबरों से मजदूरों में डर बढ़ा और इसी की वजह से इन्हें अपने गांवों को लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा, यही नहीं इस दौरान उन्हें अनकही पीड़ा का भी सामना करना पड़ा। यही नहीं इस प्रक्रिया के दौरान कुछ को अपना जीवन भी खोना पड़ा। ऐसे में हमारे लिए फर्जी खबरों के इस खतरे को अनदेखा करना संभव नहीं है।
फर्जी खबरें फैलाने के जुर्म में जेल और जुर्माने का है प्रावधान : सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 की धारा 54 का जिक्र किया, जिसमें किसी व्यक्ति के फर्जी खबरें फैलाने के जुर्म में एक साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के तहत सजा दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि यह सभी लोग जानते हैं कि घबराहट और डर का माहौल मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। हमें इसकी जानकारी है कि सरकार इन मजदूरों की मानसिक स्थिति महत्व के प्रति जागरूक है, जो लोग दहशत की स्थिति में हैं उन्हें शांत करने की ओर कदम उठाएगी।
सरकार ने कहा, मजदूरों के डर के माहौल को दूर किया जाएगा – कोर्ट ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा है कि सरकार जल्द एक ऐसी व्यवस्था लागू करेगी जिसमें कामगारों के व्याप्त डर पर ध्यान दिया जाएगा और उनकी काउन्सलिंग भी की जाएगी। मेहता ने कहा कि जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से इन प्रशिक्षित काउंसलर को भेजा जाएगा, शेल्टर होम रह रहे कामगारों को सलाह देने और उनमें आत्मविश्वास पैदा करने के लिए धार्मिक नेताओं को लाएंगे जिससे ये श्रमिक शांत होकर वहां रह सकें।
सरकार ने कोर्ट में दिए हलफनामे में फर्जी खबरों का किया जिक्र – इससे पहले केन्द्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोरोना वायरस की समस्या से निबटने के लिए सरकार की ओर से समय रहते एहतियाती कदम उठाए गए। जिसकी वजह से अभी तक इसे नियंत्रित किया जा सका है, लेकिन इस समय इस चुनौती से निबटने के मामले में फर्जी खबरें एकमात्र सबसे बड़ी बाधक बनी हैं। केन्द्र ने कोर्ट में मंगलवार को कोरोनावायरस और इससे जुड़े मुद्दों से निबटने के लिये उठाए कदमों की जानकारी देते हुए ये हलफनामा दाखिल किया था।

सरकार ने कहा- फर्जी खबरें सबसे बड़ी बाधक बनी – हलफनामे के साथ कोर्ट में पेश स्थिति रिपोर्ट में केन्द्र ने कहा कि उसने कोरोना जांच की क्षमता बढ़ाई है और इस महामारी को देश में फैलने से रोकने के प्रयासों के तहत किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिये 40,000 वेंटिलेटर खरीदने का आदेश भी दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस चुनौती के प्रबंधन में एक मात्र सबसे बड़ी बाधा जानबूझ कर या अनजाने में चल रही फर्जी खबरें या ऐसी अन्य सामग्री है जो जनता के दिलो दिमाग में दहशत पैदा करने में सक्षम हैं। केन्द्र ने कहा है कि वह स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के नेतृत्व में एक अलग इकाई गठित करेगी जिसमें एम्स जैसी मान्यता प्राप्त संस्थाओं के प्रमुख डॉक्टर होंगे, जो नागरिकों के प्रत्येक सवाल का जवाब देंगे और कोविड-19 के बारे में सही और वास्तविक तथ्य उपलब्ध कराएंगे।

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