New Delhi : BJP की फ्लोर टेस्ट की मांग पर अब सुप्रीम कोर्ट में बुधवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार कोकमलनाथ सरकार को नोटिस दिया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 10 विधायकों ने सोमवार को याचिका दायर की थी।
BJP ने दावा किया है कि कमलनाथ सरकार बहुमत खो चुकी है और कांग्रेस को सरकार चलाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसस्थिति में तत्काल विधानसभा फ्लोर टेस्ट कराया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार असंवैधानिकहै बावजूद इसके सरकार लगातार नीतिगत फ़ैसले ले रही है जो सरासर ग़लत है।
इधर सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पेज का पत्र लिखकर मंगलवार को ही फ़्लोर टेस्ट कराने कोकहा है। राज्यपाल ने चिट्ठी में लिखा है – आप 17 मार्च को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराएं और बहुमत साबित करें, अन्यथा यह मानाजाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।
Supreme Court issues notice to Madhya Pradesh government, hearing tomorrow at 10.30 am https://t.co/Vm55HyRpKQ
— ANI (@ANI) March 17, 2020
राज्यपाल की तरफ से मुख्यमंत्री को फ्लोर टेस्ट कराने के लिए दूसरी बार कहा गया है। इससे पहले राज्यपाल ने 14 मार्च को कमलनाथसे कहा था कि वे 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराएं। हालांकि, रविवार रात कमलनाथ ने उनसे मुलाकात की और बताया कि सोमवार कोफ्लोर टेस्ट नहीं होगा। इस बात से राज्यपाल नाराज थे। अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फ्लोर टेस्ट कराने के लिए सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
इससे पहले मध्य प्रदेश की विधानसभा के फ्लोर पर सत्ता का टेस्ट टलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के 106 विधायकों का राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड कराया। शिवराज ने राज्यपाल को 106 विधायकों के साथ का पत्र भी सौंपा।इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कमलनाथ रणछोड़दास हैं। उनकी सरकार को कोरोनावायरस भी नहीं बचा सकता।
मध्य प्रदेश के हालात पर दिल्ली की भी नजर है। विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमितशाह से मुलाकात की।इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन 36 पन्नों के अभिभाषण के साथ विधानसभा तो पहुंचे, लेकिन उन्होंने एकमिनट से भी कम वक्त लेकर आखिरी पन्ने का आखिरी पैरा ही पढ़ा। इसके बाद राज्यपाल ने हिदायती लहजे में ‘लोकतांत्रिक मूल्यों कानिर्वहन’ करने की बातें कहीं। इशारा मुख्यमंत्री कमलनाथ और स्पीकर एनपी प्रजापति की ओर ही था। इसके महज 5 मिनट बादस्पीकर ने अपने ‘अधिकारों का निर्वहन’ करते हुए काेरोनावायरस के खतरों का हवाला देकर 26 मार्च तक कार्यवाही स्थगित कर दी। 26 मार्च यानी ठीक वही तारीख, जिस दिन राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है।
फ्लोर टेस्ट में देरी के विरोध में भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। सुनवाई के दौरान भाजपा सुप्रीम कोर्ट से यह मांगकरेगी कि स्पीकर को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए जाएं। इसके अलावा अगर स्पीकर अगले 10 दिन के भीतर बागी विधायकोंको अयोग्य करार देते हैं तो भी मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है। कोर्ट में तुरंत सुनवाई हुई तो 26 मार्च से पहले भी फ्लोरटेस्ट हो सकता है।
स्पीकर के पास दो विकल्प हैं। या तो वे विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लें या उन्हें डिस्क्वालिफाई (अयोग्य) करार दें। स्पीकर अपनेफैसले को डिले कर सकते हैं, ताकि सत्ताधारी पार्टी के लोगों को बागियों को मनाने का कुछ वक्त मिल जाए। लेकिन दो विकल्पों केअलावा स्पीकर के पास कोई और चारा नहीं है।
राज्यसभा चुनाव में 10 दिन बाकी हैं। इससे पहले अगर सियासी घटनाक्रम बदलता है तो कमलनाथ और भाजपा, दोनों ही अपने–अपनेतर्क देकर राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने का अनुरोध कर सकते हैं। कमलनाथ 14 मार्च को राज्यपाल को पत्र लिखकर कह चुके हैं – हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन 22 विधायकों को बंधक बनाकर यह संभव नहीं है। आप गृह मंत्री अमित शाह से कहें कि बेंगलुरुमें बंधक विधायकों को छुड़ाएं।
पिछले साल अक्टूबर–नवंबर में महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के 19 दिन बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। तब राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने राज्य के तीन प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन कोई भी दलसरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाया। 12 दिन बाद रातों–रात राष्ट्रपति शासन हटा और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्रीपद की शपथ ले ली। इससे भी पहले जून 2018 में जम्मू–कश्मीर में जब भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया तोपीडीपी–नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की। हालांकि, इसी बीच वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया।