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अपनी मां के साथ दूसरों के घरों में धोए बर्तन, किस्मत के इतने सितम सहकर IPS अफसर बनी यह बिटिया

New Delhi: किस्मत हर बार जितनी जोर से दगा देती, उतनी ही मजबूती से इल्मा को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की किसान परिवार की बेटी इल्मा की कहानी उन बेटियों के लिए मिसाल है जो कि जरा सी मुश्किल में हिम्मत हार जाती हैं। जरा से हालात में हौसला खो देती हैं। हिम्मत, हौसले, मजबूती की भट्टी से निकलकर इल्मा ने अपनी मिसाल पूरी दुनिया के सामने पेश की है।

मुरादाबाद जिले में एक छोटे से गांव में पैदा हुई इल्मा अफोरज का जीवन संघर्ष भरा रहा। जब वह 14 साल की थीं तो उनके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मां ने अपने पैरों पर खड़े होकर इल्मा की जिम्मेदारी संभाली।

इल्मा की मां खेती करती थीं और उन्हीं पैसों से परिवार का पालन करती थीं। इल्मा भी मां के साथ काम में हाथ बटाने लगीं। उन्होंने अपनी मां के साथ दूसरों के घरों में बर्तन तक धुले लेकिन कभी हार नहीं मानी। तमाम दिक्कतों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

इल्मा अफरोज को शुरू से ही पढ़ाई में रुचि थी इसलिए उन्हें आगे पढ़ने के लिए ऑक्सफोर्ड न्यूयॉर्क जैसे बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिला। विदेश में कुछ करने की बजाय इल्मा वापस भारत आ गईं। उन्होंने देश की सेवा करने के लिए सिविल सर्विस में जाने का फैसला लिया।

इल्मा ने यूपीएससी जैसी कठिन एग्जाम के लिए खूब मेहनत की। इल्मा ने साल 2017 में 217वीं रैंक के साथ 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली थी। जब सर्विस चुनने की बारी आई तो उन्होंने आईपीएस चुना और उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर में आईपीएस नियुक्त किया गया।

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