New Delhi : भगवान शिव से जुड़े तीर्थों की जब बात होती है तो आमतौर पर केदारनाथ और अमरनाथ का नाम सबसे पहले जुवान पर आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरनाथ की गुफा में नहीं किसी और गुफा में रहते हैं शिव! जी हां, अमरनाथ से पहले एक और शिव गुफा है, जिसमें भगवान शिव के सपरिवार विराजने की धार्मिक मान्यता है। जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू से कुछ दूरी पर स्थित है रयासी जिला। इस जिले में भगवान शिव का घर कही जानेवाली शिव खोड़ी गुफा स्थित है। यह भगवान शिव के प्रमुख पूजनीय स्थलों में से एक है। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं और इस गुफा का दूसरा छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है।
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shiv khori cavehttps://t.co/ptO0217GWc pic.twitter.com/1WqL5Nonde— Saurav Vaid (@vaid_saurav) July 10, 2019
Jammu and Kashmir: Superstar @rajinikanth in Shiv Khori to seek blessings of Shiva.#ReporterDiary @ashwini1959 pic.twitter.com/KM1Jw45mVH
— IndiaToday (@IndiaToday) March 11, 2018
As part of a 15-day pilgrimage to the #Himalayas, @rajinikanth visited the Shivkhori temple in the Reasi district of #Jammu.
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पवित्र गुफा शिव खोड़ी की लंबाई 150 मीटर बताई जाती है। इस गुफा के अंदर भगवान शिव शंकर का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक तौर पर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। शिवलिंग के साथ ही इस गुफा में पिण्डियां विराजित हैं। इन पिण्डियों को शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणपति के रूप में पूजा जाता है।
आस्था है कि पिण्डियों के रूप में गुफा में विराजित परिवार सहित शिव, दर्शन करने पर अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं। धार्मिक कथा है कि इस गुफा को स्वयं भगवान शंकर ने बनाया था। इस गुफा को बनाने का कारण भस्मासुर को सबक सिखाना था।
पौराणिक कथा के अनुसार, भस्मासुर ने घोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसने शिवजी से वर मांगा कि वह जिस किसी के सिर पर भी हाथ रख दे, वह भस्म हो जाए। शिवजी ने जैसे ही उसे वरदान दिया, वह राक्षस शिवजी को भस्म करने के लिए दौड़ पड़ा।
भस्मासुर से बचे के लिए शिवजी को उससे युद्ध करना पड़ा। रणसु या रनसु वही जगह है, जहां भगवान शिव और भसमासुर के बीच भीषण युद्ध छिड़ा। इस रण (युद्ध) के कारण ही इस क्षेत्र का नाम रणसु पड़ा। युद्ध के दौरान भस्मासुर हार मानने को तैयार नहीं था और शिवजी उसे मार नहीं सकते थे क्योंकि खुद उन्होंने ही भस्मासुर को अभय का वरदान दिया था।
भस्मासुर से पीछा छुड़ाने के लिए भगवान शिव ऐसी जगह की तलाश करने लगे जहां भस्मासुर उन्हें ढूंढ न पाए। तब शिवजी ने पहाड़ों के बीच एक गुफा बनाई और उसमें छिपे। खुद शिवजी ने ही जिस गुफा का निर्माण किया, वह शिव खोड़ी गुफा कहलाती है।
भगवान शिव को इस तरह गुफा में छिपा देखकर भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धरा और भस्मासुर के रिझाने के लिए उसके समीप पहुंच गए। मोहिनी का रूप देखकर भस्मासुर सबकुछ भूल गया और प्रेमांध होकर मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा। नृत्य के दौरान उसने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और हाथ रखते ही भस्म हो गया। भस्मासुर के खुद को ही भस्म कर लेने के बाद भगावन शिव गुफा से बाहर आए।
शिवजी द्वारा निर्मित की गई इस गुफा का अंतिम छोर दिखाई नहीं देता है। मान्यता है कि जो कोई भी इस गुफा में स्थित शिवलिंग और पिण्डियों के दर्शन कर गुफा में आगे की तरफ बढ़ता है, वह कभी लौटकर नहीं आता।
Darshans of Mahadev at #Shivkhori, famous and religious shrine of lord Shiva situated in the Reasi district of #Jammu (union territory) in #India
Har Har Mahadev.@JandKTourism @KhajuriaManu @DeputyReasi @AnsuyaJamwal @GirishCMurmu pic.twitter.com/zMRVRC0t3J
— Ashish Kohli 🇮🇳 (@dograjournalist) November 5, 2019
[ सद्गुरु संग शिव खोड़ी यात्रा ] Shiv Khori Yatra with Sadguru https://t.co/3Qfr3K2mXt via @YouTube
— Sadguru Siddharth Aulia (@SiddharthAulia) April 13, 2020
Darshans of Natural Case of ShivKhori Shrine at Reasi #Jammu
हर हर महादेव ।#Shivratri2020 pic.twitter.com/CZdruqrUdD
— Ashish Kohli 🇮🇳 (@dograjournalist) February 21, 2020
कहते हैं कि अंदर जाकर यह गुफा दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिसका एक छोर अमरनाथ गुफा में खुलता है और दूसरे के अंतिम छोर के बारे में जानकारी ही नहीं है। मान्यता है कि गुफा के अंदर स्वयं शिवजी साक्षात विराजित हैं।