New Delhi : पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एक महिला प्रवासी मजदूर के कफन से उसका बच्चा खेलता नजर आ रहा था। मासूम को पता ही नहीं था कि मां अब नहीं रही। इस वीडियो को जिसने देखा वो परेशान हो उठा। इस वीडियो के बाद शाहरुख खान और उनके सहयोग से चलनेवाली मीर फाउंडेशन ने बच्चे की वित्तीय सहायता की पेशकश की है। बच्चों की देखभाल अब दादा-दादी करेंगे।
#MeerFoundation is thankful to all who helped us reach this child, whose heart wrenching video of trying to wake his mother disturbed all. We are now supporting him and he is under his grandfather’s care. pic.twitter.com/NUQnXgAKGT
— Meer Foundation (@MeerFoundation) June 1, 2020
मीर फाउंडेशन ने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से दादा-दादी के साथ बच्चे की फोटो साझा की है और लिखा है- मीर फाउंडेशन उन सभी का शुक्रगुजार है, जिन्होंने इस बच्चे की मदद के लिए हमें अप्रोच किया। जिसके उस हृदयविदारक वीडियो ने सभी को परेशान कर दिया था, जिसमें वह अपनी मां को जगाने की कोशिश कर रहा था। हम उसे सपोर्ट कर रहे हैं और वह अब अपने दादा की देखभाल में रहेगा।
शाहरुख ने मीर फाउंडेशन के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा है- आप सभी लोगों का शुक्रिया, जो हमें इस बच्चे के टच में लाये। हम दुआ करेंगे कि उसे इतनी शक्ति मिले कि वह अपने पैरेंट्स को खोने के दर्द को सहन कर सके। मुझे पता है कि यह अहसास क्या होता है? हमारा प्यार और सपोर्ट आपके साथ है बेबी।
शाहरुख ने अपने पिता मीर ताज मोहम्मद को बचपन में ही खो दिया था। जब वे 30 साल के हुये तो उनकी मां लतीफ फातिमा खान चल बसीं। एसआरके ने एक इंटरव्यू में कहा था – इस बात का मलाल हमेशा है कि वे अपने पैरेंट्स के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाये। इसलिए उन्होंने तय किया है कि वे लंबे समय तक जियेंगे, ताकि उनके बच्चों को पैरेंट्स की कमी महसूस न हो।
Thank you all for getting us in touch with the little one. We all pray he finds strength to deal with the most unfortunate loss of a parent. I know how it feels…Our love and support is with you baby. https://t.co/2Z8aHXzRjb
— Shah Rukh Khan (@iamsrk) June 1, 2020
शाहरुख देश में जारी कोरोनावायरस महामारी से प्रभावितों की लगातार मदद कर रहे हैं। उन्होंने पीएम केयर्स फंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के सीएम रिलीफ फंड में योगदान दिया है। इसके अलावा वे महाराष्ट्र के मेडिकल स्टाफ को 25 हजार पीपीई किट्स उपलब्ध करा चुके हैं। साथ ही क्वारैंटाइन कैपिसिटी बढ़ाने के लिए अपना ऑफिस बीएमसी को दे चुके हैं, जहां हर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।