New Delhi : अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उस धड़े से अलग होने की सोमवार को घोषणा की जिसका गठन उन्होंने 2003 में किया था। मीडिया के लिए जारी चार पंक्ति के लेटर और एक ऑडियो संदेश में, 90 वर्षीय नेता के प्रवक्ता ने कहा- गिलानी ने हु्र्रियत कॉन्फ्रेंस फोरम से पूरी तरह से अलग होने की घोषणा की है।
गिलानी ने संगठन के सभी घटकों को विस्तृत पत्र लिखते हए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस छोड़ने के अपने फैसले के पीछे के कारण बताए हैं। उन्हें इसका (संगठन का) आजीवन प्रमुख नामित किया गया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों की वर्तमान की गतिविधियों की विभिन्न आरोपों को लेकर गठबंधन जांच कर रहा है।
#Kashmir | In an audio message, Syed Ali Shah Geelani said he was announcing his resignation from the All Party Hurriyat Conference because of "the current circumstances" in the umbrella group. #KarachiAttack #GivingLifve_ให้ด้วยใจ #gilani #kashmir https://t.co/jFgTpu2bLp
— Asia News (@asianewsteam) June 29, 2020
गिलानी ने अपने दो पन्ने के पत्र में कहा- इन प्रतिनिधियों की गतिविधियां अब वहां (पीओके) सरकार में शामिल होने के लिए विधानसभाओं और मंत्रालयों तक पहुंच बनाने को लेकर सीमित है। कुछ सदस्यों को बर्खास्त कर दिया गया जबकि अन्य ने अपनी खुद की बैठकों का आयोजन शुरू कर दिया। इन गतिविधियों को आपने (घटकों ने) यहां बैठक कर उनके निर्णयों को समर्थन देकर बढ़ावा दिया है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने और पूर्व के राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले के बाद हुर्रियत सदस्यों की निष्क्रियता की ओर इशारा किया।
गिलानी ने आरोप लगाया- मैंने विभिन्न माध्यमों से आप तक संदेश पहुंचाया ताकि आगे के कदमों पर फैसला हो सके लेकिन मेरे सभी प्रयास (संपर्क करने के) व्यर्थ हो गए। अब जब वित्तीय और अन्य गड़बड़ियों को लेकर जिम्मेदारी की तलवार आपके सिर पर लटक रही है तो आपको परामर्श समिति की बैठक बुलाने का ख्याल आ रहा है।
उन्होंने कहा कि 2003 में घटक दलों ने उन्हें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का शासन संभालने के लिए मजबूर किया था और बाद में उन्हें आजीवन इसका चेयरमैन बना दिया। गिलानी ने कहा- अनुशासनहीनता और अन्य खामियों को आपने नजरअंदाज किया और इतने वर्षों में भी आपने जिम्मेदारी तय करने की मजबूत व्यवस्था नहीं बनाई लेकिन अब आपने सारी हदें पार कर दीं हैं और नेतृत्व के खिलाफ बगावत पर उतर आएं हैं।