New Delhi : भारत में तैयार निमोनिया की वैक्सीन को उत्पादन की अनुमति मिल गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी दी – देश में निमोनिया का एक टीका विकसित किया गया है। वैक्सीन का पूरा डेवलपमेंट भारत में ही किया गया है। DCGI ने आंकड़ों की समीक्षा की। इसके बाद न्यूमोकोकल पॉलीस्काराइड कॉजुगेट टीके को बाजार में उतारने की अनुमति दे दी है।
India scales another milestone under Modi government.
First indigenously developed vaccine against pneumonia is approved for manufacturing.#AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/WfLwVOApaj
— Nand Gopal Gupta 'Nandi' (@NandiGuptaBJP) July 17, 2020
मंत्रालय ने कहा – पूरी तरह से देश में विकसित निमोनिया के इस पहले टीके को DCGI से भी मंजूरी मिल गयी है। पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने क्लिनिकल ट्रायल के पहले दूसरे और तीसरे चरण के आंकड़े विशेषज्ञ समिति की मदद से डीसीजीआई को उपलब्ध कराये थे।
यह टीका इंट्रामस्कुलर यानी पेशियों में लगाये जाने वाला है। मंत्रालय ने बताया – इस टीके का उपयोग निमोनिया से बचाव के लिये बड़े पैमाने पर किया जायेगा। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने DCGI से टीके के पहले, दूसरे और तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल भारत में करने की मंजूरी ली। इसका ट्रायल गाम्बिया में भी हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार निमोनिया के क्षेत्र में यह पहला स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है। इस तरह के टीके की मांग काफी हद तक पूरी हुई थी, लेकिन विदेशी कंपनियों ने ही वैक्सीन बनाई थी। देश में लाइसेंस प्राप्त कंपनी द्वारा ऐसा पहली बार हुआ है।
India gets its first desi pneumonia vaccine https://t.co/7xP8xjKAyi
— TOI India (@TOIIndiaNews) July 15, 2020
यह वैक्सीन फेफड़ों की सूजन बढ़ाने वाली स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया जीवाणु से लड़ने के लिये शरीर को ताकत देती है। यह आमतौर पर बच्चों को 2, 4, 6 और 12 से 15 साल की उम्र में लगाया जाता है। निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है।