New Delhi : कोरोना संक्रमण के हवा से फैलने को लेकर पहले भी आशंकाएं जाहिर की जाती रही हैं लेकिन हर बार विश्व स्वास्थ्य संगठन इन आशंकाओं को खारिज करता रहा है। अब ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 239 वैज्ञानिकों का दावा है – हवा में मौजूद कोरोना वायरस के नन्हें कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
यही नहीं वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से इन दावों पर गौर करने के लिए भी कहा है। वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ से दिशा-निर्देशों में बदलाव करने की गुजारिश भी की है।
Is the coronavirus airborne? YES, according to 239 experts from 32 countries. But if so, why does @WHO still maintain that transmission by aerosols only happens after certain medical procedures? 1/xhttps://t.co/AJep0wqEzh
— Apoorva Mandavilli (@apoorva_nyc) July 5, 2020
शनिवार को प्रकाशित ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे खुले पत्र में कहा है – प्रमाण दर्शाते हैं कि हवा में मौजूद छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। कोरोना हवा के जरिये फैलकर लोगों को संक्रमित कर सकता है। इनडोर क्षेत्रों में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने के बावजूद संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोग आसानी से हवा के जरिए संक्रमित हो सकते हैं। इसलिये चारदीवारियों में बंद रहते हुए भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है।
वैज्ञानिकों का कहना है – छींकने, खांसने या जोर से बोलने पर संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली छोटी सूक्ष्म बूंदें कार्यालयों, घरों, शॉपिंग मॉलों और अस्पतालों आदि में हवा में काफी देर तक रह जाती हैं जिससे इनके संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो सकते हैं। यानी संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से निकली छोटी बूंदों के हवा में कुछ समय तक रहने से हवा के जरिए पूरे कमरे में संक्रमण फैल सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि आसपास के लोग सांस लेने भर से ही कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने अभी इस अपील पर अपनी कोई ‘आधिकारिक’ जवाब नहीं दिया है। उसका कहना है – कोरोना संक्रमण के हवा से फैलने के प्रमाण यकीन करने लायक नहीं है। डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख डॉ. बेनडाटा अलग्रांजी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में बार-बार हवा के जरिए संक्रमण फैलने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इन बातों का कोई ठोस आधार या पुख्ता सुबूत नहीं हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ पहले ही साफ कर चुका है कि छींक या खांसने से निकलने वाली नन्हीं बूंदें लोगों में संक्रमण फैलाती हैं।
बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दोहराया था – ड्रॉपलेट्स यानी खांसी या छींक से निकलने वाली नन्हीं बूंदों से फैलने वाला कोरोना संक्रमण तभी होता है जब कोई शख्स किसी संक्रमित के संपर्क में आता है। WHO के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से पांच से 10 माइक्रोन जितनी छोटी ड्रॉपलेट्स निकलती हैं जो एक स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में दाखिल होकर उसे भी बीमार बना देती हैं। WHO का यह भी कहना है कि कोरोना संक्रमण किसी ऐसी वस्तु या सतह को छूने से भी फैल सकता है जिसे संक्रमित मरीज द्वारा दूषित किया गया हो।