New Delhi : कोरोना के मरीजों के उचित इलाज और बीमारी से मरने वालों के शव को अस्पतालों में गरिमापूर्ण तरीके से रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट का फोकस दिल्ली की व्यवस्था पर रहा और अस्पतालों में हो रहे खेल पर कोर्ट केजरीवाल सरकार पर सख्त नजर आया। कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और प.बंगाल को भी इस दौरान सख्त निर्देश दिेये गये। सुप्रीम कोर्ट ने एक जगह टिप्पणी करते हुये कहा- शव कचरे में पाये जा रहे हैं, लोगों का जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है।
Supreme Court says that the Government hospitals in Delhi aren't giving due care and concern to the bodies. The patients' families aren't even informed about deaths. In some cases, families haven't been able to attend the last rites too. https://t.co/493yw5xZVS
— ANI (@ANI) June 12, 2020
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा – शवों को हैंडल करने पर दिशानिर्देश जारी किये गये हैं। इसपर कोर्ट ने कहा – हम शवों से ज्यादा जिंदा लोगों के इलाज पर चिंतित हैं। कोर्ट ने कहा- टेस्ट की संख्या भी कम कर दी गई है। दिल्ली में बहुत कम टेस्ट हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट से हमें मरीजों की दुर्दशा की जानकारी मिली। उनको शव के साथ रहना पड़ रहा है। ऑक्सीजन जैसी सुविधा नहीं मिल रही। लोग मरीज को लेकर इधर-उधर भाग रहे हैं जबकि सरकारी अस्पताल में बिस्तर खाली हैं।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कोरोना जांच में कमी क्यों की गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह ने कहा – लाशों को अव्यवस्थित तरीके से रखा जा रहा है, आखिर ये हो क्या रहा है? उन्होंने इसके लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा – दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में शवों की उचित देखभाल नहीं की जा रही है। मरीजों के परिवारों को भी मौतों के बारे में सूचित नहीं किया जा रहा है। कुछ मामलों में, परिवार अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाये हैं।
अदालत ने कहा – दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और प.बंगाल में इलाज को लेकर हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। इसपर कोर्ट द्वारा इन राज्यों को नोटिस भी जारी कर दिए गए। कोर्ट ने दिल्ली के LNJP हॉस्पिटल को भी अलग से नोटिस जारी किए जाने की बात कही। वहीं, अगली सुनवाई 17 जून को निर्धारित कर दी गई।