रूस की तैयारी पूरी- 12 से 14 अगस्त के बीच सिविल सर्कुलेशन में आ जायेगा कोरोना वैक्सीन

New Delhi : रूस की जिस यूनिवर्सिटी ने सबसे पहले कोरोना वैक्‍सीन बनाने का दावा किया था, वह अगस्‍त तक मरीजों को यह उपलब्‍ध कराने की तैयारी में है। ह्यूमन ट्रायल में यह वैक्‍सीनों इंसानों के लिये सुरक्षित पाई गई है। मॉस्‍को की सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने 38 वालंटियर्स पर क्लिनिकल ट्रायल पूरा किया था। Gamaleya institute of epidemiology and microbiology ने रूस की सेना के साथ पैरलल सारे ट्रायल दो महीने में पूरे किये। गमालेया के हेड अलेक्जेंडर जिंट्सबर्ग ने न्‍यूज एजेंसी को बताया – हमें उम्‍मीद है कि वैक्‍सीन 12 से 14 अगस्‍त के बीच सिविल सर्कुलेशन में आ जायेगी।

प्राइवेट कंपनियां सितंबर से वैक्‍सीन का बड़े पैमाने पर प्रॉडक्‍शन शुरू कर देंगी। इंस्‍टीट्यूट ने 18 जून से ट्रायल शुरू किया था। नौ वालंटियर्स को एक डोज दी गई ओर दूसरे नौ वालंटियर्स के ग्रुप को बूस्‍टर डोज मिली। किसी वालंटियर पर वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट्स देखने को नहीं मिले और उन्‍हें बुधवार को अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई।

सुरक्षा के लिहाज से वैक्सीन के सभी पहलुओं की जांच कर ली गई है। सेचेनोव विश्वविद्यालय के वदिम तरासोव के मुताबिक- हमने इस वैक्सीन के साथ काम किया, जो कि प्रीक्लिनिकल स्टडीज और प्रोटोकॉल डेवलपमेंट के साथ शुरू हुआ था और वर्तमान में क्लिनिकल परीक्षण चल रहे हैं। उन्होंने कहा – स्वयंसेवकों के पहले समूह को बुधवार को और दूसरे को 20 जुलाई को छुट्टी दे दी जायेगी।

अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी जल्द ही कोरोना वैक्सीन का निर्माण कर लेने का दावा किया है। कंपनी ने पहले ये एलान किया था जुलाई में वैक्सीन के तीसरे चरण का अध्ययन किया जायेगा। तीसरे चरण में 30 हजार लोगों को वैक्सीन दिये जाने की योजना कंपनी ने बनाई है। कंपनी का दावा है कि इस वैक्सीन से कोरोना संक्रमण नहीं हो सकता।

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