New Delhi : भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़ रहे चीनी खतरे के मद्देनजर अमेरिका यूरोप में अपनी सैन्य उपस्थिति कम कर दक्षिण एशिया में बढ़ा रहा है। इसका संकेत अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने गुरुवार 25 जून को ब्रसेल्स फोरम के वर्चुअल कान्फ्रेन्स में एक सवाल के जवाब में कहा।
पोम्पियो से पूछा गया था कि अमेरिका ने जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या में कमी क्यों की है। जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा- अमेरिकी सैनिक, जो वहां नहीं थे, उन्हें अन्य स्थानों पर चुनौतियों का सामना करने के लिए ले जाया जा रहा था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की हालिया हरकतों का मतलब है कि भारत और वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस जैसे देशों और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में खतरा बढ़ रहा है। अमेरिकी सेना, हमारे समय की चुनौतियों का पूरी तरह सामना करने के लिए उचित रूप से तैनात है।
US shifting military to face Chinese threat to India, Southeast Asian nations: Mike Pompeo https://t.co/luccQXGb6p via @FinancialXpress
— FinancialXpress (@FinancialXpress) June 25, 2020
चीन के खतरे के बारे में बोलते हुये, उन्होंने भारत के साथ सीमा पर जारी विवाद का हवाला देते हुये कहा- यह बीजिंग की दक्षिण चीन सागर गतिविधि और उसकी शिकारी आर्थिक नीतियों का सबूत है। पोम्पियो ने उल्लेख किया – ट्रंप प्रशासन ने दो साल पहले अमेरिकी सेना की एक लंबी बहुप्रतीक्षित रणनीतिक स्थिति की समीक्षा की थी। अमेरिका ने अपने सामने आने वाले खतरों के बारे में एक बुनियादी रणनीति बनाई थी कि उसे अपने संसाधनों को कैसे आवंटित करना चाहिए, जिसमें खुफिया और सैन्य और साइबर संसाधन शामिल हैं।
इससे पहले, उन्होंने चीन पर अमेरिका-यूरोपीय संवाद तंत्र के गठन की घोषणा की, ताकि अटलांटिक गठबंधन को चीन द्वारा उत्पन्न खतरे की आम समझ हो सके। पोम्पियो ने कहा कि दोनों पक्षों को चीन की कार्रवाई पर एक सामूहिक सूचना संग्रह बनाने की आवश्यकता है, ताकि एक साथ कार्रवाई कर सकें।
हाल ही में एक सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में एलएसी पर पक्के निर्माण कर रखे हैं। इसी तरह कोंका दर्रे में भी चीन की लाल सेना का अड्डा नजर आ रहा है। दोनों देशों के बीच पीछे हटने पर सहमति के बावजूद चीन धोखेबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने उल्टे भारत पर गलवान में शांति का उपदेश दिया।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया – अमेरिका अब जर्मनी से अपने कुछ सैनिकों को पोलैंड ले जाएगा। पिछले सप्ताह ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका की ओर से जर्मनी में मौजूद अपनी सैन्य ताकत में कमी की जाएगी। जर्मनी में इसके करीब 52 हजार सेना मौजूद हैं जिसे घटाकर 25 हजार कर दिया जाएगा। व्हाइट हाउस में ट्रंप ने संवाददाताओं को बताया- संभवत: हम जवानों को जर्मनी से पोलैंड ले जाएंगे। ट्रंप ने कहा, पोलैंड ने हमें बताया कि यदि हम वहां अतिरिक्त सेना भेजेंगे तो इसके लिए वे हमें भुगतान करेंगे।
Enjoyed the discussions today at the German Marshall Fund’s #BrusselsForum. I am excited to announce the U.S. and EU are launching a dialogue on China to address the threats the CCP poses to our common values and way of life. Thank you @gmfus! pic.twitter.com/uFUmuDi8dk
— Secretary Pompeo (@SecPompeo) June 26, 2020
सूत्रों की मानें तो अमेरिका हिन्द महासागर स्थित सैन्य ठिकाने डियोगार्शिया पर पहली बार में 9500 सैनिकों को तैनात करेगा। इसके अलावा ताइवन भी अपने यहां सैना तैनाती के लिए जगह दे सकता है। बता दें कि अमेरिका के सैन्य ठिकाने जापान, दक्षिण कोरिया, डियोगार्शिया और फिलीपींस में है।