New Delhi : YES BANK के कस्टमर्स हैं के लिए एक बुरी खबर है. Reserve Bank Of India ने बैंक के कस्टमर्स के लिए 50 हजार रुपये निकासी की सीमा तय की है. RBI का ये आदेश अगले एक महीने के लिए है. यानी Yes Bank के कस्टमर्स 5 मार्च से 3 अप्रैल तक सिर्फ 50 हजार रुपये ही अपने खाते से निकाल सकेंगे. इसके अलावा Ex SBI SFO Prashant Kumar को Yes Bank काएडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया गया है.
आरबीआई ने ये कार्रवाई बैंक की आर्थिक हालत को देखते हुए की है. यस बैंक बीते कुछ समय से फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है. इससे पहले गुरुवार को ये खबर आई थी कि सरकार ने देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI को यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिएकहा है.
यस बैंक में एसबीआई की हिस्सेदारी की खबर से बैंक के शेयर में 25 फीसदी से अधिक की तेजी आ गई. कारोबार के अंत में यस बैंकका शेयर 36.85 (25.77%) रुपये के भाव पर बंद हुआ. इससे एक दिन पहले 29.30 रुपये के भाव पर बंद हुआ था.
Reserve Bank of India (RBI) puts Yes Bank under moratorium. Withdrawals have been capped at Rs 50,000. pic.twitter.com/RidOCV2Rmp
— ANI (@ANI) March 5, 2020
करीब 15 साल पहले शुरू हुए यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं है. बैंक पर कर्ज बढ़ता जा रहा है तो वहीं शेयर भी टूट रहा है. यसबैंक की बदहाली इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ 15 महीने के भीतर बैंक के निवेशकों को 90 फीसदी से अधिक का नुकसान हो गया है.
अगस्त 2018 में यस बैंक का जो शेयर 400 रुपये से अधिक के भाव पर बिक रहा था वो आज लुढ़क कर 30 रुपये से भी नीचे आ गयाहै. वहीं सितंबर 2018 में यस बैंक का मार्केट कैप करीब 80 हजार करोड़ रुपये था, जो अब 9 हजार करोड़ के स्तर पर आ गया है. इसहिसाब से बैंक के मार्केट कैप में 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमी आई है.
बीते कुछ सालों में यस बैंक को एक के बाद एक झटके लगे हैं. इसमें सबसे बड़ा झटका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई कीओर से दिया गया. साल 2018 में आरबीआई को लगा कि यस बैंक अपने डूबे हुए कर्ज (एनपीए) और बैलेंसशीट में कुछ गड़बड़ी कर रहाहै. इसके बाद आरबीआई ने यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से जबरन हटा दिया. बैंक के इतिहास में पहली बार था जब किसीचेयरमैन को इस तरह से पद से हटाया गया.
इसके अलावा यस बैंक को क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के मोर्चे पर भी झटका लगा. दरअसल, क्यूआईपी केजरिए बैंक का जो फंड जुटाने का लक्ष्य रखा था वो पूरा नहीं हो सका. बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 1,930 करोड़ रुपये जुटाए थे. बता देंकि क्यूआईपी, कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का एक जरिया होता है.
इन हालातों में दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां बैंक को संदिग्ध नजर से देख रही हैं और निगेटिव मार्किंग कर रही हैं. इसी के तहत बीतेसाल अगस्त में रेटिंग्स एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने यस बैंक को डाउनग्रेड करके जंक वर्ग में डाल दिया. यस बैंक के मैनेजमेंट मेंउठा–पटक भी संकट बढ़ा दिया है. हालांकि बैंक की ओर से समय–समय पर मैनेजमेंट में किसी तरह के गतिरोध की आशंका खारिज कीजाती रही है.
इसी महीने 27 मार्च को यस बैंक नेशनल शेयर बाजार (एनएसई) के प्रमुख इंडेक्स ‘निफ्टी 50’ से बाहर हो जाएगा. इस सूची में टॉप 50 परफॉर्मर कंपनियां होती हैं. इस सूची में अकसर बदलाव होता रहता है. इसमें वही कंपनियां शामिल होती हैं जिनके परफॉर्मेंस औरमार्केट कैप में सुधार होता है.
आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि Yes Bank के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीयस्टेट बैंक (SBI) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. इससे करीबछह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीएमसी बैंक (PMC Bank) के मामले में भी इसी तरह का कदम उठायाथा. यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है.
आरबीआई ने यस बैंक के कुछ ग्राहकों को 50 हजार की निकासी सीमा से कुछ छूट भी दी है. इनमें वो ग्राहक शामिल हैं, जिन्हें कोईमेडिकल इमरजेंसी, हायर एजुकेशन, शादी के खर्चे और आपात आर्थिक जरूरत है. इन ग्राहकों पर 50 हजार की सीमा लागू नहीं होगी.
सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और अन्य वित्तीय संस्थान नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के येस बैंक को संकट सेउबारेंगे. सरकार ने एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह को यस बैंक के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है. दिनभर यस बैंक को लेकरगतिविधियां चलती रहीं. इस दौरान एसबीआई के निदेशक मंडल की बैठक भी हुई. ऐसी भी चर्चाएं है कि एलआईसी से सार्वजनिक क्षेत्रके बैंक के साथ मिलकर हिस्सेदारी खरीदने की योजना पर काम करने को कहा गया है. कुल मिलाकर दोनों की यंस बैंक में हिस्सेदारी49 प्रतिशत रह सकती है. यस बैंक में एलआईसी पहले ही आठ प्रतिशत की हिस्सेदार है.