New Delhi : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार 9 जून को केंद्र सरकार से सवाल किया – क्या चीन ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है? रक्षा मंत्री को अगर कांग्रेस के हाथ के चुनाव चिह्न पर टिप्पणी से फुर्सत मिल जाये तो इसका जवाब भी दिया ही जाना चाहिये। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी कहा – रक्षा मंत्री को जल्द जवाब देना चाहिये। इससे पहले मंगलवार को उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘भारतीय क्षेत्र पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ’ पर चर्चा के लिए संसदीय सत्र बुलाना चाहिए।
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया- भारतीय संसद में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर चर्चा के लिए पीएम को संसद का सत्र बुलाना चाहिए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसी भी तथ्य को स्वीकार नहीं किया है। हम समझते हैं कि मोदी, पंडित जवाहर लाल नेहरू नहीं हैं, लेकिन मुद्दे की गंभीरता को देखते संसद में चर्चा की मांग करते हैं।
Once RM is done commenting on the hand symbol, can he answer:
Have the Chinese occupied Indian territory in Ladakh?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 9, 2020
भारत और चीन के बीच सीमाओं पर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत भी हो रही है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारी सैन्य निर्माण को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद गहराया। चीन पर आरोप है कि वह पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में 5,000 से अधिक सैनिकों को लेकर आया। चीन ने इतना ही नहीं भारत से लगती सीमा पर तोपें और भारी हथियार जमा किए। बताया गया कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीन ने बेस कैंप में तेजी से तोपों, टैंकरों और भारी सैन्य उपकरण के भंडारण को बढ़ाया।
Would PM or Raksha Mantri please come clean on this issue?
Have The Chinese Occupied Indian Territory In Ladakh? https://t.co/w8K4jnu0vr— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 9, 2020
दिग्विजय सिंह ने हाल में चल रहे भारत-चीन मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू के बीच तुलना करते हुए 1962 की लड़ाई ध्यान में ला दी है। 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ था। इस युद्ध में भारत को जबरदस्त हानि उठानी पड़ी थी। भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध को आजतक कोई नहीं भुला पाया है। यह एक ऐसी टीस है जो हर बार उभर कर सामने आ ही जाती है। इसकी कसक आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। इस युद्ध का असर आज भी दोनों देशों के रिश्तों पर साफतौर से दिखाई देता है।
अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद भारत का यह पहला युद्ध था। एक माह तक चले इस युद्ध में भारत के 1383 सैनिक मारे गये थे जबकि 1047 घायल हुए थे। 1696 सैनिक लापता हो गये थे और 3968 सैनिकों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया था। वहीं चीन के कुल 722 सैनिक मारे गये थे और 1697 घायल हुए थे। 14 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़े गए इस युद्ध में भारत की तरफ से महज बारह हजार सैनिक चीन के 80 हजार सैनिकों के सामने थे। इस युद्ध में भारत ने अपनी वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया जिसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कड़ी आलोचना भी हुई।
उस दौरान भारतीय राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा था कि नेहरू की सरकार अपरिष्कृत और तैयारी के बारे में लापरवाह थी। नेहरू ने स्वीकार किया था कि उस वक्त भारतीय अपनी समझ की दुनिया में ही रहते थे। जहां सेना के पूर्ण रूप से तैयार नहीं होने का सारा दोष रक्षा मंत्री मेनन पर आ गया, जिन्होंने अपने सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया ताकि नए मंत्री भारत के सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ावा दे सकें। हालांकि, अब बात कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह के मोदी के नेहरू जैसे ना होने के बयान पर पार्टी के आलाकमान से क्या बयान आता है। यह देखना दिलचस्प होगा।
PM must call Session of Parliament to discuss the infiltration of Chinese Troops on Indian Territory. No less than the Defence Minister Rajnath Singh ji has accepted the fact. We do understand Modi is no Pt Nehru but the seriousness of the issue demands discussion in Parliament https://t.co/msO0dl7oW3
— digvijaya singh (@digvijaya_28) June 9, 2020
मोदी सरकार के कार्यकाल में 2-3 बार ऐसा हुआ जब भारत-चीनी सेना आमने-सामने थी। हालांकि, हर मोर्चे पर भारत की सेना डटी रही। दोनों सेनाओं के बीच तना तनी की तस्वीरें और वीडियों भी सामने आइ। अब हाल ही में एक बार फिर भारत और चीन की सेना एक दूसरे के सामने थे, जहां हर दिन के साथ तनाव बढ़ा और फिर 6 जून, 2020 को भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर चर्चा और समाधान के लिए एक बैठक हुई। बाद में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि दोनों देशों ने सैन्य और राजनयिक व्यस्तता को जारी रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्वक समाधान के लिए सहमति व्यक्त की है।