जनमत संग्रह में पुतिन की जबरदस्त जीत, 2036 तक बने रहेंगे रूस के राष्ट्रपति, 78 फीसदी समर्थन

New Delhi : व्लादिमीर पुतिन ने रूस के जनमत संग्रह के अभियान में शानदार जीत दर्ज की है और इस जीत के बाद वह 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे। रूस के संविधान में संशोधन को लेकर बुधवार को रेफरैंडम करवाया गया था और रूस के चुनाव कमीशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से मुताबिक 78 प्रतिशत लोगों ने संविधान संशोधन के पक्ष में वोट किया है।

चुनाव कमीशन ने यह आंकड़ा 25 प्रतिशत वोटों की संख्या के आधार पर जारी किया है। इस संविधान संशोधन के मुताबिक ही पुतिन को राष्ट्रपति के पद की अपनी अवधि समाप्त होने के बाद 6 सालों के लिए 2 बार और राष्ट्रपति बनने का मौका मिलेगा। पुतिन फिलहाल 2024 के लिए राष्ट्रपति चुने गए हैं परन्तु संविधान की इस संशोधन के जरिये वह 2024 के बाद 12 साल और राष्ट्रपति बने रहेंगे।
इससे पहले संविधान की संशोधन करने लगे पुतिन का नारा था हमारा देश हमारा संविधान और हमारे फैसले। पुतिन पिछले 20 साल से रूस के राष्ट्रपति हैं और 2036 में जब उनके पद की अवधि समाप्त होगी तो वह 84 साल के हो जायेंगे। जनमत संग्रह में 200 से अधिक संवैधानिक संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया था। जिनमें से एक में राष्ट्रपति पद की सीमाएं पुनर्निधारित करने से संबंधित थीं। ताकि पुतिन 2024 में और 2030 में फिर से राष्ट्रपति के पद पर बरकरार रह सकें।
विपक्ष किसी भी तरह पुतिन की हैसियत कम करने की कोशिश कर रहा था और इसलिये 200 से अधिक अन्य मुद्दों को चुनाव में जनता के सामने रखा गया। रूस में संविधान संशोधन के लिए जनमत संग्रह अभियान बुधवार को पूरा हो गया। यह 7 दिन तक चला। कोरोना संकट के कारण पहली बार रूस में किसी वोटिंग में इतना वक्त लगा। हालांकि, वोटिंग ऑनलाइन हुई। करीब 60% वोटरों ने मतदान किया।
नतीजे बाद में आएंगे, लेकिन सरकारी एजेंसी वत्सोम के सर्वे में पुतिन के सत्ता विस्तार को समर्थन मिल रहा है। इसके मुताबिक 76% लोगों ने संविधान में संशोधन का समर्थन किया है। वास्तविक नतीजे भी ऐसे ही रहे तो पुतिन मौजूदा कार्यकाल के बाद 6-6 साल के लिए फिर दो बार राष्ट्रपति होंगे।
पुतिन जनवरी में संविधान में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे। उसके बाद पुतिन के कहने पर प्रधानमंत्री दिमित्रि मेदवेदेव ने इस्तीफा दे दिया था। पुतिन ने कम राजनीतिक अनुभव वाले मिखाइल मिशुस्टिन को पीएम बनाया।

पुतिन 2000 में सत्ता में आए थे। एक निजी सर्वे एजेंसी लेवाडा के मुताबिक अभी पुतिन की लोकप्रियता रेटिंग 60% है। यह उनके अब तक के कार्यकाल में सबसे कम है, पर पश्चिमी मानकों पर खरी है। चुनाव निगरानी समूह गोलोस ने कहा कि वोटिंग की ऑनलाइन प्रक्रिया संवैधानिक मानकों को पूरा नहीं करती। वोटिंग के लिए दबाव, मतपत्रों में गड़बड़ी, अधिकार के दुरुपयोग और अवैध प्रचार के मामले भी सामने आए हैं।

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