New Delhi : राजस्थान की कांग्रेस सरकार में लालफ़ीताशाही की हद हो गई है। इसी लालफ़ीताशाही की वजह से भारत भ्रमण परआए मॉरिशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन सामोद वीर हनुमानजी के दर्शन नहीं कर पाये। वे अपने परिवार के साथ रविवार काेकड़ी सुरक्षा के बीच सामोद पैलेस व बांसाबाग आए थे। यहां हनुमान मंदिर तक पहुंचने के लिए रोप–वे का इस्तेमाल करना चाहा तो यहबंद मिला। जब कारण पूछा तो अधिकारियों ने बताया– कोर्ट का आदेश है। वन विभाग की आपत्ति है। आपको सीढ़ियों से चढ़कर हीमंदिर जाना पड़ेगा। इससे बाद राष्ट्रपति नीचे से ही हाथ जोड़कर लौट गये।
विभागाें की आपसी खींचतान, अफसरों की लेटलतीफी और कानूनी दांवपेच के चलते ऐसा हुआ। एसपी ज्ञानचंद यादव ने बताया किहमने पीडब्लूडी के तकनीकी सहायकों से राष्ट्राध्यक्ष के लिए रोव–वे चालू कराने की अनुमति मांगी थी, लेकिन पीडब्लूडी ने लिखित मेंदिया– उच्च प्रशासन ने मना किया है। इसके बाद पूरे परिवार ने पहाड़ी के नीचे से ही वीर हनुमान मंदिर की ओर हाथ जोड़े और कहा– जबरोप–वे चालू हो जाएगा, तब एक बार जरूर वीर हनुमान के दर्शन करने के लिए आएंगे। मंदिर तक पहुंचने के लिए 750 सीढ़ियां हैं, रोप–वेबंद होने के कारण बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं को ऊपर पहुंचने के में काफी दिक्कत होती है।
स्थानीय विधायक रामलाल शर्मा ने कहा– सरकार रोप–वे में आ रही तकनीकी खामियों को दूर करवाकर चालू कराने को गंभीर नहीं है।रोप–वे चालू होता तो मॉरिशस के राष्ट्राध्यक्ष परिवार सहित भगवान के दर्शन करते। पधारो म्हारा देश का नारा सार्थक नहीं हो पाया।
राेप–वे का निचला स्टेशन नांगल भरड़ा की खसरा 2772 जमीन और ऊंचाई पर बालाजी मंदिर के पास गैर मुमकिन पहाड़ की खातेदारीमूर्ति मंदिर के बालाजी के नाम पर है। मंदिरों में मूर्तियों काे अल्प वयस्क माना गया है। पुजारी काे मूर्ति संरक्षक बताया है। मंदिरों कीजमीनें अल्प वयस्क मूर्तियों के नाम हाेने के कारण अल्प वयस्क काे अचल संपत्ति के बारे में निर्णय का अधिकार नहीं है। हिंदू अल्पवयस्क की अचल संपत्ति के संबंध में काेई भी निर्णय का उत्तरदायित्व न्यायालय काे है। हिंदू अभिभावक अधिनियम 1956 के प्रावधान केअनुसार सिविल न्यायालय मूर्ति के हित में अनुमति देता है ताे मंदिर माफी की भूमि पर एकल ट्रस्ट संपत्ति का वाणिज्यिक उपयोग केलिए किसी से अनुबंध कर सकता है। इसी के चलते राजस्व विभाग के उप शासन सचिव ने प्रशासन से इस बारे में नियमानुसार निर्णयकरने काे कहा है।