New Delhi : चीन के सैन्य रिजर्व बलों को औपचारिक रूप से कम्युनिस्ट पार्टी और केंद्रीय सैन्य आयोग के एकीकृत कमान के तहत रखा जाएगा। दोनों का नेतृत्व राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) करते हैं। इसका मकसद रिजर्व सैन्य बलों पर सत्तारूढ़ पार्टी का पूर्ण नेतृत्व सुनिश्चित करना और विश्वस्तरीय सेना का निर्माण करना है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बल सैन्य अंगों और स्थानीय कम्युनिस्ट पार्टी समितियों के दोहरे नेतृत्व में हैं। उन्हें एक जुलाई से सत्तारूढ़ पार्टी और केंद्रीय सैन्य आयोग के नियंत्रण में लाया जाएगा।
#China has always been mindful of developments of reserve forces in its #Tibet and #Xinjiang. Centralizing leadership of reserve military forces will help improve combat capability and facilitate their cooperation with active-duty units. https://t.co/tfJQeF20Rq pic.twitter.com/FutrAi400I
— Global Times (@globaltimesnews) June 29, 2020
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army, PLA) ने 2017 में सैन्य सुधारों की घोषणा की थी। इसके तहत रिजर्व बलों की ताकत को कम करने और इसे केंद्रीय नेतृत्व के नियंत्रण में लाने की योजना का एलान किया गया।
सुधार के तहत पीएलए के तीन लाख सैनिकों के आकार में कटौती करना भी शामिल था, जो दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य बल है। इसे कम करके दो लाख सैनिक करने का लक्ष्य रखा गया। रविवार को एक आधिकारिक घोषणा में कहा गया कि आरक्षित बल पीएलए का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नेतृत्व संरचना में समायोजन का उद्देश्य सेना पर सीपीसी का पूर्ण नेतृत्व बनाए रखना और नए युग के मुताबिक मजबूत सेना का निर्माण करना है।
2013 में सत्ता संभालने के बाद से चिनफिंग ने सभी पीएलए रैंक को सख्ती से सीपीसी के नेतृत्व में करने का आदेश दिया था। चिनफिंग सीपीसी के महासचिव भी हैं। चीन पर नजर रखने वाले लोग चिनफिंग को माओत्से तुंग के बाद से सबसे शक्तिशाली चीनी नेता मानते हैं, खासकर जब से वह 2018 में राष्ट्रपति के दो-कार्यकाल की सीमा समाप्त करने के लिए संविधान में संशोधन करने में कामयाब रहे। 2017 में घोषित सुधार प्रक्रिया के अनुसार, सभी बल चिनफिंग की अध्यक्षता में सीधे केंद्रीय नेतृत्व के अधीन काम करेंगे।