New Delhi : जापान भारत, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ डिफेंस इंटेलिजेंस साझा करके अपने स्टेट सीक्रेट लॉ का दायरा बढ़ाना चाहता है। पिछले महीने इसे लेकर कानून में बदलाव किया गया है जिसके बाद इन देशों को विशेष दर्जा दिया गया है। इस कानून के मुताबिक जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली जानकारी लीक करने पर जुर्माना और 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके तहत रक्षा, कूटनीति और काउंटर-टेररिज्म आते हैं। दरअसल, पिछले काफी वक्त से चीन जापान को ईस्ट चाइना सी में परेशान कर रहा है जिसे देखते हुए यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले जापान के इस कानून में सिर्फ अमेरिका शामिल था।
Japan on Friday backed India in its border standoff with China. Here’s the position adopted by key players in the world community:https://t.co/G3YD2esfe0
— Hindustan Times (@htTweets) July 3, 2020
विदेशी मिलिट्री से जानकारी को स्टेट सीक्रेट करार देने पर संयुक्त अभ्यास और उपकरणों के विकास के लिए समझौतों में मदद मिलेगी। इससे चीनी सेना के मूवमेंट पर डेटा शेयर करना भी आसान होगा। खासकर तब जब चीन की जापान के क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। कानून में बदलाव कर भारत, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के साथ समझौते किए जाएंगे। इसके साथ ही दोनों देश एक-दूसरे की डिफेंस से जुड़ी जानकारी को सीक्रेट रखेंगे। इससे इन देशों में अपने सीक्रेट के लीक होने की संभावना भी कम होगी।
इसके अलावा कानून में बदलाव से जापान खतरे की हालत में सेल्फ-डिफेंस के अधिकार का इस्तेमाल कर सकेगा और दूसरी सेनाओं को ईंधन और हथियार मुहैया करा सकेगा। इसके लिए इन सेनाओं के साइज, क्षमता और कार्यक्षेत्र की ज्यादा जानकारी भी चाहिए होगी जो सीक्रेट डेटा में शामिल है। हाल के वक्त में जापान ने अपने डिफेंस सहयोग को बढ़ाया है। जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्स और ऑस्ट्रेलिया की सेना ने पहली बार पिछले साल फाइटर जेट्स के साथ जॉइंट ड्रिल कीं और 2015 से हर साल मालाबार में भारत-अमेरिका के साथ मिलकर मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स हिस्सा ले रही है।
इसके अलावा रक्षा उपकरणों के जॉइंट डिवेलपमेंट को लेकर भी समझौते किए गए हैं जिसमें ताकतवर और क्लासिफाइड टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होता है। जापान और ब्रिटेन ने एयर-टु-एयर मिसाइल बनाई है जबकि जापान पैरिस के साथ अंडरवॉटर माइन डिटेक्ट करने के लिए मानवरहित क्राफ्ट पर काम कर रहा है। जापान ब्रिटेन के साथ F-2 फाइटर जेट पर भी काम करने का प्लान बना रहा जिसे 2030 तक तैनात करने की योजना है।
ईस्ट चाइना सी में हाल के वक्त में चीन की गतिविधियां ज्यादा तेज हो चुकी हैं। जापान के शासन वाले सेंकाकू टापू के आसपास चीन के कोस्ट गार्ड शिप चक्कर काटते रहते हैं। चीन इसे दियाऊ बताया है और गुरुवार को लगातार 80वें दिन चीनी जहाज यहां पहुंचे। चीन पहले ही साउथ चाइना सी पर अपनी मौजूदगी बढ़ाता जा रहा है।