New Delhi : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी के बीच भारत सरकार ने तीनों सेनाओं के लिये 500 करोड़ रुपये तक हथियार खरीदने की छूट दी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया- तीनों सेना के वाइस चीफ को आवश्यक हथियारों की फास्ट ट्रैक प्रोसिजर के तहत हथियार उपकरण खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये दिये गये हैं।
.@PChidambaram_IN: Over six years, Modi built a narrative that suggested his frequent visits to China and special chemistry with Xi Jinping, showcased in summits at Wuhan and Mamallapuram, made him a Chinese favorite. The bubble burst on June 15. https://t.co/qZc7dWLpCF
— Sadanand Dhume (@dhume) June 21, 2020
पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की तरफ से अतिक्रमण और जिस तरह से उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी तादाद में सैनिकों को तैनात किया है। इसके बाद से लगातार सेनाओं की तरफ से सरकार को इसकी जरूरत महसूस कर रही थी। इसी तरह की वित्तीय खरीद की छूट सुरक्षाबलों को उरी हमले और पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट हवाई हमले के बाद दी गई थी। वायुसेना को सरकार की तरफ से दी गई इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा मिला, जिसने बालाकोट के बाद स्पाइस-2000 एयर टू ग्राउंड मिसाइल, स्ट्रम अटाका एयर टू ग्राउंड मिसाइल समेत कई रक्षा उपकरणों की खराददारी की।
भारतीय सेना ने इजरायली एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के साथ ही अमेरिका से हथियारों की खरीद की। भारतीय सेना को इस तरह के फंड देना का मुख्य मकसद किसी भी चुनौती के मुकाबले के लिए शॉर्ट नोटिस पर खुद को तैयार करना है।
Opinion: #India must not let border scuffle fray economic ties with #China. As the radical elements in India are fuelling nationalist fever, we hope Indian people won’t be fooled. India needs China, economically and geopolitically. #GalwanValleyhttps://t.co/LWRvA0dGcX pic.twitter.com/gyLnbYBMy2
— Global Times (@globaltimesnews) June 21, 2020
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार है। भारत सरकार ने साफतौर पर कह दिया कि चीन ने गलवान घाटी में अतिक्रमण किया और गलवान और सरकार ने गलवान पर चीन के दावे को खारिज कर दिया है। ऐसे में मौजूदा स्थिति को देखते हुये इस तरह का फंड जारी किया गया है।