New Delhi : 22 मई को अलविदा की नमाज पढ़ी गई। आम तौर पर अलविदा नमाज में शहर के मुख्य मस्जिदों में हजारों की भीड़ जुटती है। मगर इस अलविदा नमाज में गिनती के लोग भी नहीं पहुंचे। दिल्ली का जामा मस्जिद हो या लखनऊ का ईदगाह। सभी जगह पांच लोग ही नमाज पढ़ने आये। इस मौके पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपनी ओर कई पाबंदियां लगाने की है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा – न किसी के घर जायेंगे, न हाथ मिलायेंगे, न गले मिलेंगे। ईद के बजट की आधी रकम लॉकडाउन से बेरोजगार हुए लोगों की मदद पर खर्च करना चाहिये।
ईद में सैकड़ों करोड़ की खरीददारी होती है, जो इस बार बंद हो गई। मौलाना ने अपील की कि ईद में नमाज़ तो घर में पढ़ें ही..किसी से ईद मिलने न जाएं बल्कि फ़ेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्वीटर और वीडियो मैसेज से मुबारकबाद दें। उन्होंने कहा – जितनी भी इबादतगाहें हैं पूरी दुनिया में सब बंद हैं। सउदी अरब में देख लें, तमाम मस्जिदें बंद हैं। सिर्फ चंद लोग जो मस्जिदों में रहते हैं वही नमाज़ें अदा करते हैं।
लखनऊ में अलविदा और ईद की नमाज जिन और दो बड़ी जगहों पर होती है उनमें से एक टीले वाली मस्जिद में ताला लगा रहा। यहां करीब 50 हजार लोग नमाज़ अदा करते हैं। उसके पास ही बड़े इमामबाड़े में आसिफी मस्जिद में शिया मुसलमानों की नमाज़ होती है। इमामबाड़े और मस्जिद के गेट बंद हैं और बाहर पुलिस का पहरा है।
खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा – बेरोजगारी इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है, और जो लोग इतनी तेज़ी से भुखमरी का शिकार हो रहे हैं उसको मद्देनज़र रखते हुए यह भी अपील की गई है कि जिसकी फैमिली का जो भी ईद का बजट है उसका अराउंड फिफ्टी पर्सेंट गरीब गुरबा में तकसीम करें।