New Delhi : गलवान घाटी से चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने सबसे मजबूत कूटनीतिक हथियार का प्रयोग किया था। केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मोर्चे पर लगा दिया था और उन्होंने रविवार को चीनी समकक्ष वांग यी के साथ करीब दो घंटे तक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की थी। भारत के सख्त रुख के बाद चीन के पास पीछे हटने के अलावा कोई और चारा भी नहीं था। भारत ने ड्रैगन को चौतरफा घेर रखा है चीन के 59 ऐप्स पर बैन के बाद पेइचिंग पूरी तरह से हिल गया था। इसी बातचीत में गलवान में तनाव कम करने पर सहमति बनी।
#Chinese State Councilor and FM Wang Yi had phone conversation with #Indian National Security Advisor Ajit Doval on Sunday night. The two sides reached a positive consensus on China-India border dispute: FM pic.twitter.com/dqJDuWb1XJ
— Global Times (@globaltimesnews) July 6, 2020
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। बातचीत के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत दिखे कि जल्दी से जल्दी से विवादित क्षेत्र से सेनाएं पीछे हट जाएं और वहां शांति बहाली हो जाए। दोनों पक्ष इसके लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब मौजूद सैनिकों के जल्द हटाने पर भी हामी भरी। भारत और चीन ने चरणबद्ध तरीके से एलएसी के करीब से सैनिकों को हटाने की बात कही। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी की दोनों पक्ष एलएसी का उल्लंघन नहीं करेंगे और कोई भी पक्ष वहां यथास्थिति बदलने के लिए कोई एकपक्षीय कार्रवाई नहीं करेगा।
इससे पहले चीन ने स्वीकार किया है कि भारत के साथ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव घटाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा – भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत हुई है और तनाव को घटाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। चीन का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पेइचिंग ने भारत के चौतरफा दबाव के आगे झुकते हुये गलवान घाटी से 2 किलोमीटर अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है।
China & India have made progress coming up with effective measures for frontline troops to disengage & deescalate the border situation at the 3rd commander-level talks between the two militaries on June 30: China's Global Times quotes Chinese Foreign Ministry Spox Zhao Lijian pic.twitter.com/UzuWb3gcBk
— ANI (@ANI) July 6, 2020
चीन के ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान के हवाले से लिखा- भारत और चीन की सेनाओं के बीच 30 जून को तीसरी कमांडर स्तर की वार्ता में सीमा विवाद और जवानों को पीछे हटने को लेकर सहमति बनी। इस पर दोनों देशों ने प्रभावी उपायों के साथ प्रगति की है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है – 48 घंटों तक चली गहन कूटनीतिक चर्चा, सैन्य जुड़ाव और संपर्क के चलते चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं। इन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा हुई, जिससे चीन को एक निर्णायक और दृढ़ संदेश गया।
भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है – सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुरूप चीनी सेना ने विवाद वाले क्षेत्र से टेंट, वाहनों और सैनिकों को 1-2 किलोमीटर पीछे कर लिया है। चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवान नदी क्षेत्र के गहराई वाले इलाके में मौजूद हैं। हालांकि, भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।
Opinion: It is foolish and ludicrous for India to drive away high-tech Chinese companies. Without precious Chinese investment and technology innovations, India's economy can hardly sustain its growth. https://t.co/QuYRyZb2qo
— Global Times (@globaltimesnews) July 6, 2020
चीनी सैनिक पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हटे हैं। चीनी सैनिकों की इस स्थिति को लेकर भारतीय सेना की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक अभी वेरिफिकेशन की प्रकिया पूरी नहीं हुई है। एक सीनियर अधिकारी ने इसकी पुष्टि की कि सैनिक पीछे हटे हैं लेकिन कहा कि कितना पीछे हटे हैं यह वेरिफिकेशन के बाद कंफर्म हो पाएगा।