New Delhi : भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे मामले को अपने हाथ में ले लिया है। उन्होंने हाईलेवल मीटिंग की। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुख शामिल हुये। इसके बाद मोदी ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से भी चर्चा की। इससे पहले लद्दाख में तनाव पर रक्षा मंत्री की सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से करीब एक घंटे मीटिंग हुई। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा कि दोनों बैठकों में मोदी और राजनाथ को चीन की हरकतों पर भारतीय सेना के जवाब की जानकारी दी गई। मीटिंग में दो अहम फैसले लिये गये। पहला- इस क्षेत्र में सड़क निर्माण जारी रहेगा। दूसरा- भारतीय सैनिकों की तैनाती उतनी ही रहेगी जितनी चीन की है।
Defence Minister Rajnath Singh held a security review meeting with the Chief of Defence Staff General Bipin Rawat and the three Services Chiefs, today. pic.twitter.com/LtxE6aVGLs
— ANI (@ANI) May 26, 2020
इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई। इधर खबर है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन में बढ़े तनाव के बीच सीमा के पास चीन ने अलग-अलग स्थानों पर 5000 सैनिकों को तैनात कर दिया है। भारत भी इसी अनुपात में यहां अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। भारत दूसरे इलाकों में भी सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा रहा है, ताकि चीनी सेना वहां से अतिक्रमण ना कर सके।
दौलतबेग ओल्डी और इससे जुड़े इलाकों में भारतीय सेना की 81 और 114 ब्रिगेड चीनी सैनिकों को रोकने के लिए तैनात है। वायुसेना की मदद से यहां सैनिकों को हेलिकॉप्टरों के जरिए पहुंचाया जा रहा है। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिक और भारी गाड़ियां लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दोनों तरफ पैंगोंग त्सो झील और फिंगर एरिया में भारतीय क्षेत्र तक आ चुकी हैं।
I remember how different things were in the summer of 1986 when Wangdung/#Sumdorong Chu intrusion by China happened. The stalemate dragged on for years. Temperatures on both sides were high. Harsh words exchanged. But it was not a public spat.
— Nirupama Menon Rao, निरुपमा राउ, بینظیر (@NMenonRao) May 26, 2020
भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाने की वजह ये है कि लद्दाख में एलएसी के साथ क्षेत्रीय स्तर की वार्ता का कोई हल नहीं निकला है। ऐसे में भारतीय सेना ने एलएसी के पास चीनी सैनिकों की तैनाती की खबरों के बीच उत्तराखंड में अपने सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई है।
वेस्टर्न सेक्टर के हिस्से पूर्वी लद्दाख में भी अतिरिक्त सैनिकों को शामिल किया गया है। 24 घंटे निगरानी बढ़ा दी गई है। गुल्डॉन्ग सेक्टर में चीनी सैनिकों की संख्या में इजाफे के बाद मिडिल सेक्टर के हिस्से उत्तराखंड में एलएसी के आस-पास पिछले कुछ दिनों में सैनिक बढ़ाये गये हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हमने हर्सिल में भी सेना को मज़बूत किया है क्योंकि रिपोर्ट्स थीं की चीन की तरफ से एलएसी की दूसरी तरफ के सेक्टर में सैनिकों की हलचल बढ़ी है। पूर्वी लद्दाख में सर्विलांस को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त टुकड़ियां शामिल की गई हैं, साथ ही 24 घंटे सर्विलांस हो रहा है। फिजिकल पेट्रोलिंग बहुत मुश्किल होती है और इसके लिए ज्यादा वक्त भी चाहिये और सैनिक भी, लेकिन UAVs से एलएसी के नजदीक किसी भी गतिविधि होने की स्थिति में हमें खबर मिलती रहती है।
Has #China's belligerence in #Ladakh been triggered by India's abrogation of #Article370 and 35A – also declaring Ladakh as a Union Territory? A revealing piece by @PStobdan. Thanks @Krittivasm for the pointer. https://t.co/lTOjIGglHb #IndiaChinaBorder #indiachina
— GhoseSpot (@SandipGhose) May 26, 2020
सूत्रों का कहना है कि भारतीय चौकियों को मजबूत करने और भंडार बनाने के लिए लद्दाख में सैनिकों की ताजा तैनाती की गई है। कुछ विशेष सैनिकों को बाहर से तैनात किया गया है, वहीं बाकी के सैनिक लूप बटालियन के रूप में मौजूद हैं। लूप बटालियन्स की सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में ही तैनाती की जाती है। एक अधिकारी कहते हैं कि लद्दाख में सैनिकों की तैनाती अचानक किसी चीनी गतिविधि होने की आशंका के चलते बढ़ाई गई है।
लद्दाख में भारत की प्रमुख रणनीतिक संपत्ति 255 किलोमीटर की दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क है जो पिछले साल पूरी हुई थी। यह दौलत बेग ओल्डी तक भारतीय सेना की पहुंच को बढ़ाती है। जहां वायुसेना ने 2008 में एक एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड को फिर से सक्रिय किया है। इस रणनीतिक सड़क का निर्माण 2001 में शुरू हुआ था।
#laddakh #chinaindiaborder #China #indiachina #IndiaChinaTension
Analysis: Pakistan factor behind India-China stand-off in Ladakh
Pressure points: An Army patrol along the Line of Actual Control.
Pressure points: An Army patrol along the Line of Actual ControlCont * pic.twitter.com/hK6Zu42gc1
— Gowhar Nazir | گوہر نذیر (@Gowharsgr) May 26, 2020
वास्तविक सड़क का उद्घाटन पिछले अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किया गया था, जिसके बाद श्योक नदी पर 1400 फीट का पुल खोल दिया गया। इसे आधिकारिक तौर पर कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु कहा जाता है। यह पुल काराकोरम और चांग चेनमो पर्वतमाला के बीच मौजूद है और गलवान और श्योक नदियों के संगम के नॉर्थ में है।