PM Narendra Modi video conferencing

PM Modi ने अमेरिका-चीन से कहा – दुनिया पैसा कमाने के लक्ष्यों पर नहीं, इंसानियत पर फोकस करे

New Delhi : Corona Virus महामारी के बीच गुरुवार को G-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने Video Conference के जरिए चर्चा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर यह आपात बैठक बुलाई गई थी। PM Modi ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अमेरिका, चीन जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से कहा कि हमें इस वक्त आर्थिक लक्ष्यों की बजाय इंसानियत पर फोकस करना चाहिए। कोरोना ने हम सभी को एक अवसर दिया है, जिसमें हम ग्लोबलाइजेशन के नए कांसेप्ट की ओर देख सकते हैं। समिट के दौरान जी-20 देशों ने कोरोना संकट से निपटने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5 लाख करोड़ डॉल का निवेश का फैसला लिया है।
मोदी ने कहा कि यह मंच आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को दूर करने का प्लेटफॉर्म बनकर रह गया है। कई स्तर पर वैश्वीकरण ने हमें विफल कर दिया है। फिर चाहे आतंकवाद या जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने की बात हो। इससे पहले, मोदी ने जी-20 देशों के नेताओं से कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे से लोगों को बचाने के लिए साझा योजना बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना बनाई जानी चाहिए जिससे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और विश्व स्वास्थ्य संगठन को मजबूत किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए। इससे पहले न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि जी20 वर्चुअल समिट के दौरान कोरोनावायरस के ओरिजिन (उत्पत्ति) को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। पूरी चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि आखिर किस तरह इन चुनौतियों से निपटा जाए। इस दौरान ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया जिसमें वायरस को फैलाने के लिए किसी को दोषी सिद्ध किए जाने की बात हो।
जी-20 वर्चुअल क्रॉन्फ्रेंस का सुझाव मोदी ने ही दिया था, जिसे मौजूदा मुखिया सऊदी अरब के किंग मोहम्मद बिन सलमान ने स्वीकार कर लिया था। सऊदी अरब ने ही समिट की अध्यक्षता की। बुधवार को मोदी ने ट्वीट किया था कि कोरोनावायरस से निटपने में जी-20 की भूमिका अहम होगी।


बैठक में कोरोना महामारी से पैदा हो रहे हालात और आर्थिक संकट पर चर्चा हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। पिछले साल के आखिर में चीन के वुहान से ही कोरोना संक्रमण की शुरूआत हुई थी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बैठक में कई अहम जानकारियां साझा कीं।
मोदी ने मंगलवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी। इस दौरान उन्होंने समूह-20 देशों की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। मोदी ने सऊदी प्रिंस को सार्क देशों के बीच हुई बातचीत के बारे में भी बताया था। इसके पहले मोदी ने इस विषय पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरीसन से भी बात की थी। मंगलवार को देर शाम रियाद स्थित जी-20 ऑफिस की तरफ से बैठक की सूचना जारी कर दी गई।
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, डब्ल्यूएचओ, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन जैसे शीर्ष संगठन भी शामिल हुए। इसके अलावा आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन), अफ्रीकी संघ, खाड़ी सहयोग परिषद और अफ्रीका के विकास के लिये नई भागीदारी (एनईपीएडी) जैसे क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। जी-20 में भारत के अलावा, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
2022 में जी-20 देशों की अगुआई करने की जिम्मेदारी भारत के पास आ जाएगी। ऐसे में अभी कोरोनावायरस की चुनौतियों को लेकर जो फैसला किया जाएगा, उन्हें आगे लागू करने में भारत को भी अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। जी-20 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली 20 देश शामिल हैं। इसका गठन 2007-08 के वैश्विक मंदी के बाद किया गया था। उसके पहले तक दुनिया के सबसे ताकतवर सात देशों का एक संगठन जी-7 काम करता था।

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