New Delhi : श्रीरामजन्मभूमि परिसर में बहुप्रतीक्षित भूमि पूजन के लिए स्थितियां अनुकूल रहीं तो आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी हरिशयनी एकादशी तदनुसार एक जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या आ सकते हैं। यदि परिस्थितियां सामान्य नहीं हुईं तो फिर वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये वह भूमि पूजन में शामिल होंगे।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र नई दिल्ली में ही हैं। मंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद समिति अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आईएएस नृपेंद्र मिश्र के साथ ट्रस्ट के महासचिव राय ने गृह मंत्री अमित शाह व प्रधानमंत्री मोदी से भेंटकर भूमि पूजन का आमन्त्रण दिया और संभावित तिथियों में से सुविधानुसार किसी एक तिथि के लिए मंजूरी देने का आग्रह किया।
Rudra Abhishek Pooja Held At Kuber Tila Temple In Ayodhya To Mark The Beginning Of Ram Mandir Construction…😍🕉🙏
Jai Sri Ram..🙏🙏🙏🚩🚩🚩#RamMandir#Ayodhya pic.twitter.com/LOuIf8QjZF— Adarsh Hegde (@adarshhal) June 10, 2020
दो जुलाई को चातुर्मास लग रहा है। इस दौरान चार माह तक कोई शुभ कार्य नहीं होगा। ऐसे में मुमकिन है कि देवताओं के शयन से ठीक पहले अयोध्या में भूमि पूजन हो जाये। देवशयनी एकादशी 30 जून की शाम 6:45 बजे लगेगी जो एक जुलाई को पूरे दिन रहेगी। इसे विष्णु शयनोत्सव के रूप में मनाया जाता है जो तीन दिन का होता है। इस उत्सव के क्रम में दो जुलाई को गुरू अनुराधा नक्षत्र का शुभ संयोग पड़ रहा है, इस दिन आनंद योग भी है, जो शुभ कार्यों के लिए सर्वसिद्घिप्रदायक है।
इसके बाद चातुर्मास का शुभारम्भ हो जायेगा और फिर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक शुभ एवं मांगलिक कार्यों का निषेध हो जायेगा। ऐसे में एक जुलाई तिथि को अंतिम माना जा रहा है। इस बारे में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने बताया कि अभी समतलीकरण की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा – शीघ्र ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भूमि पूजन किया जाएगा। इसके बाद मंदिर निर्माण की कार्यदाई संस्था एलएण्डटी की ओर से रामजन्मभूमि पर मंदिर के नींव की खुदाई शुरू कराई जाएगी।
रामजन्मभूमि परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षित स्मारक कुबेर टीला पर प्रतिष्ठित कुबेरेश्वर महादेव का वनवास 28 साल बाद बुधवार को आषाढ़ कृष्ण पंचमी के पर्व पर खत्म हो गया। इस मौके पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र समिति ट्रस्ट के तत्वावधान में देवाधिदेव का षोडशोपचार पूजन के साथ रुद्राभिषेक किया गया। कुबेरेश्वर महादेव का यह अभिषेक छह दिसम्बर 1992 के बाद पहली बार हुआ है क्योंकि कुबेर टीला केन्द्र सरकार की ओर से सात जनवरी 1993 में पारित सरटेन एरिया एक्यूजीशन एक्ट आफ अयोध्या के अन्तर्गत भूमि अधिग्रहण की सीमा में आ गया था।