New Delhi : शुक्रवार को दिल्ली से पैदल मुरैना (अंबाह) के बड़फरा गांव के लिए निकले 39 साल के रणवीर सिंह की आगरा के सिकंदरा के पास मौत हो गई। होटल में काम करने वाला रणवीर शुक्रवार दोपहर 3 बजे साथियों के साथ निकला था। शाम 6 बजे उसने अंबाह में ब्याही अपनी बहन को फोन पर कहा- मैं फरीदाबाद आ गया हूं। जल्द ही घर पहुंच जाऊंगा। शनिवार सुबह पांच बजे उसका फिर बहन के पास फोन आया। उसने कहा कि मेरी तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो रही है। गला सूख रहा है और पेट में दर्द हो रहा है। आगरा पहुंचने के बाद उसके साथी आगे निकल गए और सुबह 6.30 बजे सिकंदरा थाना क्षेत्र में सड़क किनारे उसकी मौत हो गई।
इधर कोरोना, संक्रमण और मौत के बीच अपने परिवार से सैकड़ों किमी दूर बिहार के 8 लाख से अधिक लोग फंसे हुए हैं। पूर्ण लॉकडाउन में जब बस-ट्रेन-फ्लाइट सब बंद है, तो हजारों लोग पैदल ही बिहार के अपने गांव-शहरों की तरफ निकल पड़े हैं। इनमें अधिकतर दिल्ली और यूपी में हैं तो कुछ राजस्थान-गुजरात के भी।
किसी को 300 किमी चलना है, तो किसी को 1500, रोजी रोटी का संकट सिर पर है। नंगे पैर, भूखे प्यासे लोग इस आस में चले आ रहे हैं कि वे किसी भी तरह घर पहुंच जाएं। गाजियाबाद में ऐसे ही कुछ मजदूर कहते हैं – अगर हम यहीं रुके रहे तो कोरोना से पहले भूख से मर जाएंगे। मरना ही है तो घर पर परिवार के बीच मरना अच्छा है। वहां हमारी लाश को कंधा देने वाला तो कोई होगा।
विभिन्न राज्यों से 21 ट्रकों में भरकर सिर्फ शनिवार को लोग बिहार पहुंचे। जिन ट्रकों में ये आए थे उनमें फूड सप्लाई का पोस्टर लगा हुआ था। इनकी थर्मल स्कैनिंग की गई। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक सिंह ने कहा कि घर लौटने वालों को 14 दिन क्वारेंटाइन में रहना होगा। कोई संक्रमित निकला तो परिवार से मिलना खतरनाक होगा।
दूसरे राज्यों में 40 लाख से अधिक बिहारी काम करते हैं। इनमें काफी संख्या में वहीं बस गए हैं। जिन्हें लौटने की जरूरत नहीं पड़ती। विभिन्न राज्यों के श्रम संगठनों की माने तो अभी 10 लाख से अधिक लोग बिहार लौटना चाहते हैं।