New Delhi : सिविल सेवा में जाने का सपना देखनेवाले विद्यार्थी दिन रात मेहनत कर परीक्षा की तैयारी करते हैं। मेहनत के साथ ही विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी में लाखों रुपये खर्च भी करते हैं। कई सालों की इस मेहनत के बाद भी जब उनका नाम सफलता सूचि में नहीं होता तो वो टूट जाते हैं। UPSC को तो देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल किया जाता है, कुछ विद्यार्थी तो सामान्य परीक्षआओं में बार-बार मिल रही विफलताओं से इतने निराश हो जाते हैं कि अपना लक्ष्य ही बदल लेते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को सौरभ पांडेय जैसे विद्यार्थियों से सीखने की जरूरत है। जो कि अपनी विफलताओं से हार मानने की बजाए सीखने में विश्वास रखते हैं।
सौरभ इस परीक्षा में लगातार 5 बार फेल हुए, लोगों के तानों ने उनकी हिम्मत तोड़नी चाही लेकिन उन्होंने अपना धैर्य और विश्वास नहीं खोया और 2019 की परीक्षा में ऑलओवर 66वीं रेंक लाकर सभी को जवाब दिया। ये उनका छठवां प्रयास था।
सौरभ बनारस के रहने वाले हैं। उनके पिता कमलाकर पांडेय भारतीय जीवन बीमा निगम (सोनभद्र) में मैनेजर के पद पर काम करते हैं। उनकी शुरूआती शिक्षा बनारस में ही हुई। उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई डीएलडब्लू स्थित सेंट जांस स्कूल से की जिसके बाद 2013 में उन्होंने बीट्स पिलानी से इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रानिक्स में इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट नौकरी की जिसमें सैलरी अच्छी न होने के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू की लेकिन किसी भी परीक्षा में सफलता हाथ नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने अपने पुराने लक्ष्य यूपीएससी की ओर कदम बढ़ाए और तैयारी शुरू कर दी। पहले प्रयास में वो प्रीलिम्स मे बुरी तरह फेल हुए। सौरभ ने इस बार शूरुआत से तैयारी की और दूसरी बार फिर परीक्षा दी लेकिन दूसरी बार तो क्या वो तीसरी बार में भी प्रीलिम्स नहीं निकाल सके।
तीन बार परीक्षा देने के बाद भी उन्हें मेन्स लिखने का मौका नहीं मिला। उन्होंने आत्म मंथन किया और सोचा कि उनके लिए बिना अच्छे मार्गदर्शन के इस नौकरी को पाना संभव नहीं है। इसलिए 2016 में तीन बार फेल होने के बाद भी वो इस परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपना गांव छोड़ ट्रेन पकड़ कर दिल्ली आ गए। यहां वो कोचिंग सेंटर से जुड़कर तैयारी करने लगे। 2017 में पहली बार था जब उन्होंने प्री क्लियर किया था लेकिन मेन्स में वो फेल हो गए। अब तो उनके रिश्तेदार भी उन्हे ताने मारने लगे थे। उन्होंने अपनी मेहनत को और बढ़ाया और बिना नागा लगातार मोक टेस्ट दिए। 2018 में भी जब उनका नाम लिस्ट में नहीं आया तो वो भी टूट गए लेकिन उनके शिक्षकों ने समझाया कि सफलता बेहद करीब है। सारे अटेम्प्ट निकल चुके हैं अब आर या पार की लड़ाई लड़नी बाकी है।
उन्होंने 2019 की परीक्षा में अपनी हर गलती को लिखा और उससे सीख ली। इसके बाद परीक्षा में उन्होंने प्री भी पास किया मेन्स लिखकर इंटरव्यू तक पहुंचे और 66वीं रेंक लाकर अपना नाम टॉपर्स की लिस्ट में शामिल कर लिया।