New Delhi : अभिभावकों और टीचर्स की डिमांड पर इस चालू शैक्षणिक सत्र में पाठ्यक्रम और इंस्ट्रक्शन आवर्स में कमी करने की दिशा में प्रयास शुरू किया गया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है- वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर और माता-पिता, शिक्षकों से बहुत सारे अनुरोध प्राप्त करने के बाद, हम आने वाले शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम और निर्देशात्मक घंटों में कमी के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया- मैं सभी शिक्षकों, शिक्षाविदों और एकेडेमिक्स के एक्सपर्ट से अपील करता हूं कि वे मेरे या मंत्रालय के ट्विटर हैंडल या फेसबुक पेज # SyllabusForStudents2020 का उपयोग करके इस मामले पर अपनी बात साझा करें ताकि हम निर्णय लेते समय उन्हें ध्यान में रख सकें।
In view of the current circumstances and after receiving a lot of requests from parents and teachers, we are contemplating the option of reduction in the syllabus and instructional hours for the coming academic year: Ramesh Pokhriyal, Union Human Resource Development Minister pic.twitter.com/4fooL4BZIc
— ANI (@ANI) June 9, 2020
वैसे भी स्कूलों को खोलने को लेकर सरकारें जल्दबाजी में नहीं हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार 8 जून को बुलाई गई बैठक में ज्यादातर राज्यों ने स्कूलों के खोलने की योजना को अगले दो महीने तक और स्थगित रखने का सुझाव दिया है। हालांकि इसमें राज्यों ने पाठ्यक्रम छोटा करने पर सहमति नहीं जताई।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी ओर से स्कूल खोलने जैसे महत्वपूर्ण फैसले पर कुछ भी न करें। स्कूलों को खोलने पर केंद्र सरकार में फिलहाल 15 जुलाई के आसपास समीक्षा होगी। उसके बाद ही स्कूलों, कालेजों और कोचिंग सेंटरों को खोलने पर कोई निर्णय हो पायेगा। स्कूलों को लेकर कोई भी गाइडलाइन गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद ही जारी की जायेगी। इसके बाद ही कोई भी राज्य अपनी स्थिति के आधार पर स्कूलों को खोलने का निर्णय ले सकेंगे।
In view of the current circumstances and after receiving a lot of requests from parents and teachers, we are contemplating the option of reduction in the syllabus and instructional hours for the coming academic year.@SanjayDhotreMP @HRDMinistry @PIB_India @MIB_India
— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) June 9, 2020
बता दें कि अनलॉक-1 में स्कूलों के जुलाई से खोले जाने पर विचार की बात सामने आने के बाद देश भर के 2 लाख से अधिक अभिभावकों ने एक ऑनलाइन पीटिशन पर हस्ताक्षर किये और केंद्र को सौंपा। इसमें कहा गया- जब तक कोरोना वायरस की स्थिति में सुधार नहीं होता या टीका तैयार नहीं होता तब तक स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाना चाहिये।
बहरहाल 8 जून को ऑनलाइन शिक्षा को लेकर भी राज्यों के साथ मंत्रालय ने चर्चा की है। इस दौरान ज्यादातर राज्यों ने इसे लेकर तैयारी तेज करने की जानकारी दी। जबकि कुछ राज्यों ने ऐसे बच्चों के लिए स्कूलों को खोलने की जरूरत बताई, जिसके पास अभी ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ने का कोई माध्यम नहीं है। यानी टीवी, मोबाइल नहीं है।
मंत्रालय ने इस दौरान केंद्र की ओर से ऑनलाइन शिक्षा को लेकर उठाये जाने वाले कदमों से अवगत कराया। वह जल्द ही पहली से बारहवीं तक के बच्चों के लिए अलग से एक चैनल शुरू करने जा रहे है। इसकी तैयारी में एनसीईआरटी जुटा हुआ है। इस बीच बिहार की ओर से स्कूलों के खुलने में देरी को देखते हुए केंद्र सरकार से स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील का कोटा जारी करने का सुझाव दिया। ताकि वह बच्चों के घर तक उन्हें समय से पहुंचा सके।
I would like to appeal to all teachers, academicians, and educationists to share their point of view on this matter using #SyllabusForStudents2020 on MHRD's or my Twitter and Facebook page so that we can take them into consideration while making a decision.@DDNewslive
— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) June 9, 2020
मंत्रालय ने इस दौरान सभी राज्यों को यह सलाह दी, कि स्कूलों के खोलने का निर्णय जब तक नहीं हो रहा है, तब तक वह स्कूलों में बच्चों को संक्रमण से बचाव से जुड़ी सारी तैयारी जुटा लें। जिसमें हाथ धुलने के लिए एक ऐसा स्थल जहां बच्चे बगैर एक-दूसरे के संपर्क में आए साबुन से हाथ धुल सके। इसके लिए सभी स्कूलों में साबुन अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके अलावा बच्चों को एक दिन छोड़कर स्कूल बुलाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।