New Delhi : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 27 मई को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आग उगला था। उन्होंने पीएम मोदी को फासिस्ट बताते हुये पूरे एशिया प्रशांत रीजन के लिये खतरा बताया। इमरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की बारी थी। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिये भारत की आलोचना की है और कहा – यह दर्शाता है कि भारत में मुसलमान कैसे हाशिये पर रखा जा रहा है। भारत के उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मालिकाना हक मामले में सुनाए गए अपने फैसले में कहा था कि पूरी 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला को सौंप दी जानी चाहिए जो कि तीन वादियों में से एक हैं।
While 🌎 is grappling with unprecedented #COVID19, RSS-BJP combine is busy unabashedly advancing “Hindutva” agenda. The commencement of construction of a Mandir at the site of Babri Masjid is another step in this direction & Govt & people of 🇵🇰 condemn it in the strongest terms. pic.twitter.com/1V4iWW7tvi
— Spokesperson 🇵🇰 MoFA (@ForeignOfficePk) May 27, 2020
पाकिस्तान विदेश कार्यालय ने बुधवार (27 मई) रात एक बयान में कहा कि ऐसे में जब पूरी दुनिया अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी से जूझ रही है आरएसएस-भाजपा गठजोड़ हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। बयान में कहा गया- अयोध्या में ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद स्थल पर 26 मई 2020 को मंदिर निर्माण की शुरुआत इस दिशा में एक और कदम है तथा पाकिस्तान की सरकार और लोग इसकी कड़ी निंदा करते हैं। मंदिर निर्माण की शुरुआत भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा नौ नवम्बर को सुनाये गये फैसले की अगली कड़ी है जो न्याय की मांग को बरकरार रखने में पूरी तरह से विफल रहा।
भारत ने राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पाकिस्तान की ओर से की गई अवांछित और अकारण टिप्पणी को बार-बार खारिज किया है। भारत का कहना है कि एक दीवानी मामले में भारत के उच्चतम न्यायालय का फैसला भारत का पूरी तरह से आंतरिक मामला है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा – बाबरी मस्जिद, संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी प्रक्रिया की शुरुआत से संबंधित घटनाक्रम यह स्पष्ट करता है कि मुस्लिमों को भारत में किस तरह से हाशिये पर रखा जा रहा है।
The Hindutva Supremacist Modi Govt with its arrogant expansionist policies, akin to Nazi's Lebensraum (Living Space), is becoming a threat to India's neighbours. Bangladesh through Citizenship Act, border disputes with Nepal & China, & Pak threatened with false flag operation.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) May 27, 2020
दिसम्बर 2019 में संसद द्वारा पारित नये नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। भारत सरकार का कहना है कि संशोधित नागरिकता कानून देश का एक आंतरिक मामला है और इसका लक्ष्य पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा करना है। असम में एनआरसी प्रक्रिया उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर शुरू की गई थी।