ऑपरेशन सनशाइन : मोदी-शाह की स्ट्रैटजी ने म्यामार से 22 विद्रोहियों को भारत ला पटका, पूर्वोत्तर ठंडा

New Delhi : एक स्पेशल विमान ने म्यांमार से कल भारत की धरती पर लैंड किया। यह विमान कुछ खास था क्योंकि इस स्पेशल विमान में छह संगठनों के 22 पूर्वोत्तर विद्रोहियों को लाया गया था। भारत और म्यामार के बीच स्ट्रैटेजिक समझौते के तहत सभी को भारत लाया गया। इनको शुक्रवार 15 मई को भारत लाया गया और मणिपुर, असम पुलिस को सौंप दिया गया। इस पूरे ऑपरेशन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह खुद मॅनिटर कर रहे थे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की पूरी प्लानिंग कारगर रही। इस ऑपरेशन को पूरा करने में 9 महीने का समय लगा।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसको लेकर पहला कदम म्यांमार रक्षा सेवाओं के कमांडर-इन-चीफ, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग की भारत यात्रा के दौरान उठाया गया था। भारतीय नेतृत्व के साथ दिल्ली में वरिष्ठ जनरल हलिंग ने कई बैठकों में से एक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ की थी। यह जुलाई के अंत में हुई बैठक में अजीत डोभाल ने इस विषय पर चर्चा की थी।
म्यांमार के सागिंग क्षेत्र की सीमाओं पर कुछ महीने पहले किये गये संयुक्त अभियानों के दौरान म्यांमार सेना द्वारा 22 विद्रोहियों को पकड़ लिया गया था। “ऑपरेशन सनशाइन” कोड नाम वाला ऑपरेशन फरवरी में शुरू हुये थे और मार्च तक जारी रहा। ये लोग म्यांमार में भारत द्वारा वित्त पोषित 484 मिलियन डॉलर के कलादान मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट परियोजना पर काम कर रहे भारतीय कर्मियों से वसूली कर रहे थे।
दूसरे चरण में बड़े पैमाने पर भारत विरोधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया। म्यांमार की सेना की कार्रवाई ने इनको भारतीय सीमा रक्षकों के आगे आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। ऑपरेशन के दूसरे चरण के दौरान ही शुक्रवार को निर्वासित किये गये 22 भारत विरोधियों को म्यांमार की सेना ने पकड़ लिया था। इनको वापस लाने की कवायद से जुड़े वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह ने इस कोशिश की समीक्षा की जो जुलाई की बैठक तक जारी रही।

एक अधिकारी ने कहा- इन 22 भारत विरोधियों को निर्वासित करने का निर्णय आश्चर्यजनक है क्योंकि पहले म्यांमार भारत विरोधियों के खिलाफ किसी न किसी कारण से कार्रवाई नहीं करता था। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग के परिणामस्वरूप, म्यांमार ने शुरुआत में कुछ कार्रवाई की और बाद में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ संयुक्त अभियान चलाया।

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