New Delhi : नेपाल-भारत के बीच जारी सीमा विवाद को सुलझाने की जगह नेपाल सरकार ने उसे और गंभीर स्थिति में पहुंचा दिया। भारत ने हमेशा ही नेपाल के साथ इस मुद्दे पर वार्ता की पहल की, लेकिन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली तैयार नहीं हुए। सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक- भारत ने हमेशा नेपाल के साथ बातचीत पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर की। यहां तक कि नेपाल के निचले सदन में नये नक्शे पर संशोधन बिल पास होने से ठीक पहले भी संपर्क साधा गया। वर्चुअल बातचीत और विदेश सचिव यात्रा की पेशकश भी की गई थी, लेकिन पीएम ओली आगे बढ़ गये। हैरानी की बात यह है कि उन्होंने अपने नागरिकों को भारत के प्रस्ताव के बारे में क्यों नहीं बताया।
Nepal has created a difficult situation, now it is up to their government to build a positive and conducive environment for talks: Sources https://t.co/SNzzslV6Jg
— ANI (@ANI) June 15, 2020
सूत्रों ने बताया – निचले सदन में बिल को पास करके नेपाल ने एक मुश्किल स्थिति पैदा कर दी है। अब यह उनकी सरकार के ऊपर है कि वार्ता के लिए सकारात्मक और अनुकूल वातावरण तैयार करें। नेपाल के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) में सत्ताधारी और विपक्षी राजनीतिक दलों ने शनिवार 13 जून को नये विवादित नक्शे को शामिल करते हुये राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन (अपडेट) करने के लिए संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया।
इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया है।
भारत ने इस कदम का सख्त विरोध करते हुए इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया था। शनिवार को नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा। अब विधेयक को नेशनल असेंबली (उच्च सदन) में फिर इसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है। यहां 16 जून को वोटिंग तय है।
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया – यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुये दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।
नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था – वह क्षेत्रीय दावों को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का प्रयास न करे।