सरकारी चीनी मीडिया ने चेताया- अमेरिका संग गये मोदी तो भारत के लिये परिणाम बेहद बुरे होंगे

New Delhi : बार्डर पर तनाव को कम करने की कोशिशों के बीच चीन की सरकारी मीडिया ने एक बार फिर से भारत को धमकी दी है कि वह अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन करे और अमेरिका से दूर रहे। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चेताया कि अगर भारत चीन का विरोध करने के लिए अमेरिका के साथ गया तो चीन अपने हितों की रक्षा करने से हिचकेगा नहीं। फिर चाहे वे राजनीतिक हों या आर्थिक।

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा- यदि मोदी सरकार चीन को अपना दोस्‍त बनाने को चुनती है तो चीन-भारत आर्थिक संबंध निश्चित रूप से और ज्‍यादा बढ़ेंगे। लेकिन अगर भारत चीन को कमजोर करने के लिए अमेरिका के साथ गया तो चीन अपने हितों की रक्षा के लिए हिचकेगा नहीं, फिर चाहे वे राजनीतिक हों या आर्थिक। भारत के लिए चीन की दोस्‍ती को खोने की कीमत बहुत ज्‍यादा होगी जिसे सहना उसके लिए काफी मुश्किल होगा।

 

चीनी अखबार ने भारत सरकार को नसीहत दी कि वह कोरोना वायरस और टिड्डों के हमले पर फोकस करे। उसने कहा कि लॉकडाउन के बाद भी भारत कोरोना वायरस को रोकने में असफल रहा और यह अब फैल रहा है। चीनी समाचार पत्र ने ल‍िखा कि भारत में लॉकडाउन से अर्थव्‍यवस्‍था की हालत खराब है और शहरी बेरोजजारी दर मई में 27 प्रतिशत पहुंच गई। इस बीच टिड्डे भी भविष्‍य में भारत में बड़ा हमला कर सकते हैं। इससे फूड सप्‍लाइ पर अतिरिक्‍त भार पड़ेगा। भारत सरकार को इसे गंभीरतापूर्वक लेने की जरूरत है।
ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता हुआ चुनयिंग के हवाले से कहा – चीन और भारत ने दोनों पक्षों के बीच बनी आम सहमति के बाद सीमा पर तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं। चीनी अखबार ने कहा कि कुछ विश्‍लेषकों ने आधिकारिक बयान की प्रशंसा की है जो इस बात के स्‍पष्‍ट संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच जारी गतिरोध कम हो रहा है।
चीनी समाचार पत्र ने अपने संपादकीय में लिखा – कुछ हद सीमा पर तनाव कम होने से दोनों देशों के बीच भविष्‍य में आर्थिक और व्‍यापारिक आदान-प्रदान करने का मौका मिलेगा जो दोनों ही देशों के पक्षों के हित में है। यदि तनाव बना रहता या सबसे खराब स्थिति में संघर्ष में बदलता तो भारत-चीन संबंधों में आगे बढ़ने के लिए कुछ खास नहीं बचता। अगर राजनीति का अर्थव्‍यवस्‍था और बिजनेस पर असर देखें तो द्विपक्षीय व्‍यापार निस्‍संदेह प्रभावित होता क्‍योंकि भारत में चीन विरोधी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा – अब तक ऐसा लगता है कि सबकुछ सकारात्‍मक दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है जो सीमा पर तनाव के कम होने का संकेत दे रहा है। इसका मतलब है कि भविष्‍य में द्विपक्षीय आर्थिक और व्‍यापारिक सहयोग बढ़ेगा जो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को राहत देगा। वह भी तब जब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पहले से ही लड़खड़ा रही है। चीनी अखबार ने कहा – वैश्विक भूराजनीतिक स्थिति और ज्‍यादा जटिल हो गई है। चीन और अमेरिका के बीच र‍िश्‍ते नए शीत युद्ध की कगार पर है और इसी बीच ऑस्‍ट्रेलिया और भारत ने एक नए व्‍यापक रणनीतिक भागीदारी का ऐलान किया है।
चीनी समाचार पत्र ने लिखा – इस मौके पर भारत अतिरिक्‍त भूराजनीतिक दबाव और लालच का सामना कर रहा है। भारत ने लंबे समय से अपनी विदेशी नीति में गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया है। यह अभी देखना होगा कि भारत लंबे समय चली आ रही अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति और अपनी राजनयिक स्‍वतंत्रता को बरकरार रखता है या बदलते भूराजनीतिक माहौल में अमेरिका के नेतृत्‍व वाले गठजोड़ की तरफ झुकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *