New Delhi : अब मजदूरों को घर भेजने में सोनू उनके ट्रेन का सहारा भी ले रहे हैं। रविवार 31 मई की रात सोनू सूद को ठाणे स्टेशन पर देखा गया था। यहां से उत्तर प्रदेश जाने वाली ट्रेन में 1000 से ज्यादा मजदूर रवाना हुये जिन्हें सोनू सूद पहले बस से भेजने वाले थे। ये मजदूर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई शहरों के रहने वाले हैं। सोनू के साथ प्रवासी मजदूरों को घर भेजने में मदद कर रहीं नीति गोयल ने बताया कि पहले इन मजदूरों को बसों से भेजा जाने वाला था लेकिन स्पेशल ट्रेन की घोषणा होने के बाद इन्हें ट्रेन से भेजा गया।
भाई @SonuSood ने इस बार Train से प्रवसीयो को भेजा घर .Thane Railway station से प्रवासियों को See Off करते हुए @SonuSood @RailwaySeva pic.twitter.com/e5olAnS1u3
— Ashish Kumar 🇮🇳 (@Ashish_GudBoy) June 1, 2020
सोनू सूद ने इससे पहले हजारों मजदूरों को मुंबई से देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजने के अलावा केरल में फंसी 177 लड़कियों को एयरलिफ्ट करके भुवनेश्वर भी पहुंचाया था। पिछले दिनों में सोनू सूद के इस काम के लिए सोशल मीडिया पर उनकी काफी तारीफ भी हो रही है। वैसे सोनू सूद अभी तक मुम्बई से 18000 प्रवासी मजदूरों को मुम्बई से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश भेज चुके हैं। उन्होंने अभियान ही चला रखा है। उनका कहना है- जब तक एक एक आदमी अपने घर नहीं पहुंच जाता वो शांत नहीं बैठेंगे।
. @SonuSood फिर बने मसीहा …इस बार Train से प्रवसीयो को भेजा घर …Thane Railway station से प्रवासियों को See Off करते हुए Sonu Sood pic.twitter.com/q8gfGhvCuc
— Sujit Kumar Tripathi (@SujitKumar_Inc) June 1, 2020
इधर गरीबों के मसीहा और सुपरमैन सोनू सूद के नेक काम से प्रभावित होकर कई लोग प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने में मदद के लिये आगे आये हैं। नोएडा, दिल्ली और जालंधर से तीन ऐसे मामले आये हैं, जिनमें तीन अगल-अलग लोगों ने अपने पॉकेट से पैसे खर्च कर बसों से 2000 से अधिक प्रवासियों को बिहार और झारखंड उनके घर तक भेजा है। जलांधर के एक जूता फैक्ट्री मालिक अभी तक वह 800 श्रमिकों को उनके घर जाने में मदद कर चुके हैं। 32 साल के रमन कुमार ने अपने पिता राकेश कुमार और दोस्त रविंदर भारद्वाज की मदद से प्रवासी मज़दूरों के उनके घर तक पहुंचा चुके हैं।
#SonuSood Visits Thane Railway Station, Sends Over 1000 Migrants To UP And Bihar@SonuSood #HelpingHands #COVIDー19 #COVID19India #Pandemic
Watch Video – https://t.co/jKUjaNMgha pic.twitter.com/Lpt3nQIxKM
— Bollywood Spy (@BollySpy) June 1, 2020
लॉकडाउन के कारण रमन कुमार का व्यापार बंद पड़ा हुआ है। उन्हें तगड़ा नुक्सान हुआ है। बावजूद इसके मज़दूरों की मदद के लिए उनका आगे आना वाकई प्रशंसनीय है। रमन ने न सिर्फ़ अपने यहां काम करने वाले 90 प्रतिशत लोगों को अपने घर भेजा। बल्कि राजमार्गों और सड़कों पर जाकर उन्होंने मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल न चलने के लिए राजी किया। उनके खाने-पीने का इंतजाम किया। रमन ने उनके घर पहुंचने के लिए परिवहन की व्यवस्था भी की। हर दिन वो मजदूरों को अपने निकटतम स्क्रीनिंग केंद्रों पर ले जाते हैं। अभी भी जो लोग घर नहीं जा सकें हैं उनके रहने और खाने का पूरा इंतजाम रमन ने कर रखा है। आगे भी वह अपना यह काम जारी रखना चाहते हैं। दैनिक ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक रमन कहते हैं कि अगर उनके पास अधिक पैसा होता तो वो जालंधर में मज़दूरों की और मदद करना चाहते हैं।
@SonuSood once again does it! Here are the visuals of the actor at 2 AM in the early at the Thane Railway station where he bid aideu to over 1000 migrants via multiple trains to UP & Bihar to unite with their families.#SonuSood #SonuSoodTheRealHero @E24bollynews pic.twitter.com/RUO9vkBQpD
— Umesh R. Shukla (@iamumeshshukla) June 1, 2020
इसी तरह दिल्ली अभिषेक दत्त ने कस्तूरबा नगर समेत दिल्ली के कई अन्य क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की। करीब 14 बसों के जरिए 400 से ज्यादा मजदूरों को उनके घर भेजा गया। ये सभी प्रवासी मजदूर बिहार के बेगूसराय, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीवान और यूपी के रायबरेली और मध्यप्रदेश के दमोह और छतरपुर जिलों के रहने वाले थे। इस काम में समाजसेविका सोनाली नंदा ने भी सहयोग किया।
Mummy ji..मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैं एक माँ को उसके बेटे से मिलवा पाया। क़िस्मत रही तो कभी आपके घर आकार खाना ज़रूर खाऊँगा। 🙏 https://t.co/F2lmsfCQJ8
— sonu sood (@SonuSood) June 1, 2020
अभिषेक दत्त ने बताया कि ये सभी मजदूर 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद से ही दिल्ली में फंसे हुए थे। ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 के स्क्रीनिंग सेंटर में इन सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग कराने के बाद उन्हें बसों से भेजा गया। उन्हें रास्ते के लिए खाना और पानी व मास्क आदि भी मुहैया कराए गए। प्रवासी मजदूरों के अलावा इनमें कुछ लोग ऐसे भी थे, जो अपने किसी बीमारी परिजन या रिश्तेदार का इलाज कराने के लिए दिल्ली आये थे और यहीं फंसे रह गए थे।