New Delhi: सरकारी व्यवस्था बदलने की बात तो हर कोई करता है लेकिन बदलने की कोशिश बहुत कम लोग करते हैं। अधिकारी स्वयं अपने बच्चों को सरकारी संस्थाओं में पढ़ाने से बचते हैं और उन्हें निजी अंग्रेजी स्कूलों में भर्ती करते हैं। लेकिन बिलासपुर की अतिरिक्त उपायुक्त डॉक्टर निधि पटेल जरा अलग है।
वह जिले की आलाधिकारी होने के बावजूद अपनी ढाई साल की जुड़वां बेटियों को क्रेच में भेजने की बजाय आंगनबाड़ी केंद्र चंगर में दाखिला करवाया है।व्यवस्था को बदलने की बात तो हर कोई कागजों और भाषणों में करता है, लेकिन उसको सही मायनों में बदलने के लिए उसमें भागीदारी कर ही सुधारा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जब आप खुद उसका हिस्सा होंगे तो उसके सुधार के लिए और ज्यादा जिम्मेदारी से काम करेंगे। किसी भी संस्थान और क्षेत्र में अगर बदलाव करना है, उसकी दशा और दिशा को सुधारना है तो सबसे पहले अपनी भागीदारी वहां सुनिश्चित करें।
हर नागरिक चाहे वह अधिकारी हो, कर्मचारी हो या आम जन, सभी को चाहिए कि वह सरकारी योजनाओं का अर्थ जाने। निजी संस्थानों को प्राथमिकता देने से पहले सरकारी का महत्व समझें। ये सभी संस्थान सरकार के नहीं, बल्कि जनता की ही संपत्ति हैं।