नया बहाना : स्पेशल ट्रेनें चलेंगी तभी तो लायेंगे 25 लाख मजदूरों को, 1.70 लाख बसें कहां से लायें

New Delhi : प्रवासी मजदूरों को घर तक लाने के मसले पर एक दिन पहले तक केंद्र पर ठीकरा फोड़ रही बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को पूरे देशभर से लाने की छूट मिलने के साथ ही अपने हाथ फिर से खड़े कर दिये हैं। बिहार सरकार ने कहा है कि बिना स्पेशल ट्रेन चलाये प्रवासी मजदूरों को बिहार लाना संभव नहीं है। केंद्र को स्पेशल ट्रेन चलानी होगी। 1.70 लाख बसें चाहिये होंगी 25 लाख मजदूरों को घर लाने के लिये। इतने बसों का इंतजाम कैसे करेंगे।

उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की वापसी के लिए केंद्र सरकार से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है। मोदी ने कहा कि भारत सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को अपने घर जाने की अनुमति दे दी है। इससे लाखों मजदूरों को राहत मिली है। वे अब अपने घर लौट सकेंगे। बिहार सरकार ने प्रत्यय अमृत को नोडल ऑफिसर नियुक्त कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग महाराष्ट्र, बेंगलुरु, दिल्ली, चेन्नई, कर्नाटक और कई दूसरे राज्यों में फंसे हैं। उन्हें बसों से लाना संभव नहीं है। बस से लाने में 6 से 7 दिन लग जाएंगे।

लॉकडाउन शुरू होने के बाद ही यहां वहां फंसे मजदूर पैदल ही अपने अपने घरों के लिये निकल गये। मजदूरों ने 2000-2000 किलोमीटर का सफर तय किया पैदल। कई घर तक पहुंचे और कुछ ने रास्ते में ही दम तोड दिया।

डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि ऐसे लोगों के लिए नॉन स्टॉप ट्रेनों की व्यवस्था की जाए। बिना स्पेशल ट्रेन के लोगों को लाना संभव नहीं होगा। ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो और लोगों के लिए खाने की व्यवस्था भी की जाए। बगल के राज्यों के लोगों को बसों से लाया जा सकता है लेकिन, दूर के राज्य के लोगों के लिए यह मुमकिन नहीं है। जिन 27 लाख लोगों ने मुख्यमंत्री से सहायता के लिए आवेदन किया है उसमें केवल दिल्ली के 5 लाख लोग हैं। महाराष्ट्र के 2 लाख 68 हजार, गुजरात के दो लाख, कर्नाटक के एक लाख से ज्यादा लोग हैं। मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने लौटने वाले सभी मजदूरों के लिए व्यवस्था की है। सभी को 14 दिनों तक क्वारैंटाइन सेंटर में रहना होगा। बॉर्डर पर सभी की स्क्रीनिंग होगी।

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