कभी चपरासी की परीक्षा भी पास न कर पाये, सबने उड़ाया मजाक, फिर खूब पढ़े, IAS टॉपर बन गये

New Delhi : प्राइवेट नौकरी में अनिश्चितता को देखते हुए ज्यादातर युवा सरकारी नौकरी ही पाने के सपने देखा करते हैं और फिर ये नौकरी IAS, IPS या फिर दूसरी सिविल सेवाओं की हो तो नौकरी के साथ-साथ पद की गरिमा और सम्मान भी जुड़ जाता है। यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में छात्र इस परीक्षा को देते हैं लेकिन परीक्षा पैटर्न इतना कठिन होता है कि इसे क्लियर करना सबके बस की बात नहीं होती। ऐसे में अगर हम आपको बताएं कि इस परीक्षा को उस छात्र ने पास किया जो कभी ग्रुप सी और डी की परीक्षा तक क्लियर नहीं कर पाया तो आपको थोड़ी हैरानी होगी। इनका नाम है लक्ष्य सिंघल जिन्होंने अपनी तैयारी और अनोखी स्ट्रेटजी के दम पर इस कठिन परीक्षा को पास किया।

लक्ष्य ने 2018 में यूपीएससी परीक्षा पास कर ऑलओवर 38वीं रेंक पाकर दिखा दिया था कि एक फेलियर हमेशा फेलियर नहीं होता मेहनत और संकल्प के दम पर वो किसी भी मंजिल को पा सकता है। मगर अपनी मंजिल को पाने से पहले लक्ष्य को तरह तरह के सबक मिले इन सभी से उन्होंने काफी कुछ सीखा। जो गलतियां पहले हुईं उन्हें कभी भी दोबारा नहीं दोहरााया। लक्ष्य शुरू से ही एक ओसत छात्र रहे। जब दसवीं में उनके थोड़े ठीक-ठाक नंबर आए तो परिवार वालों ने सोचा लड़के को इंजीनियर बनाएंगे इसलिए लक्ष्य की राय लिए बिना ही परिवार वालों ने उन्हें साइंस दिला दी। इसका परिणाम ये हुआ कि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। वो दसवीं के बेस पर ही छोटी-मोटी सरकारी नौकरियों के लिए ट्राय करने लगे लेकिन इससे कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने बारहवीं पास तो कर ली पर उनके इतने अच्छे अंक नहीं आए जो इंजीनीरिंग कॉलेज में दाखिले के लिए चाहिए होते हैं। पापा का बिजनेस था और पैसे की ज्यादा दिक्कत नहीं थी बस उनके पिता अपने बेटे को सफल करना चाहते थे। जब उनका एडमिशन कहीं नहीं हुआ तो उनके पिता ने दिल्ली की आईपी युनिवर्सिटी से उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन दिला दिया। लक्ष्य बताते हैं कि उन्हें मैकिनिकल नहीं लेनी थी उन्हें कंप्यूटर इंजीनियरिंग करनी थी इसे भी उन्होंने जैसे-तैसे पास किया। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने अब अपने सिविल सेवा में जाने के सपने के बारे में सोचा। इससे पहले उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी के किसी भी पद पर नहीं पहुंच पाया था।
ग्रेजुएशन करने के बाद जब उन्होंने आगे किसी में एडमिशन नहीं लिया और न ही कोई नौकरी की तो परिवार वाले उनसे नाराज रहने लगे। जब उन्होंने परिवार वालों को बताया कि वो सिविल सेवा में जाएंगे तो वो इसलिए नाराज हो गए उनका अब किसी भी परीक्षा की तैयारी करना मतलब पैसा बर्बाद करना है। लेकिन घरवालों से उन्होंने अपने आपको साबित करने के लिए थोड़ा सा वक्त मांगा। घरवाले तैयार हो गए।

इसके बाद वो तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए और यहां किराए के कमरे पर रहकर उन्होंने एक कोचिंग सेंटर से जुड़कर तैयारी की। पहली बार में परीक्षा क्लियर नहीं हुई। पहले ही प्रयास में उन्हें अंदाजा हो गया कि परीक्षा को कैसे पास करना है। दूसरे प्रयास में न केवल उन्होंने परीक्षा पास की बल्कि अपना नाम टॉपर की लिस्ट में भी शामिल करवा लिया। जिस छात्र को समाज वाले फेलियर कह कर चिढ़ाते थे लक्ष्य सिंहल ने IAS टॉपर बनकर सबके मुंह बंद कर दिए।

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