New Delhi : कहते हैं ना जहां मेहनत होती है वहां कामयाबी जरूर मिलती है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बता रहे हैं। यह कहानी पंजाब के अजय कुमार सिंह की है, जिनके माता-पिता तंदूर पर रोटियां बनाने का काम करते थे। अजय अब न्यायाधीश बन चुके हैं। अजय की कहानी बताती है कि किस्मत को कोसने से बेहतर होगा कि मेहनत का हाथ थाम लिया जाए। अजय के पिता बलवीर सिंह और मां आशा रानी अबोहर की आनंद नगरी में तंदूर पर रोटियां पकाने का काम करते हैं। इसी काम के सहारे उन्होंने अपने सभी बच्चों की परवरिश की। बता दें, अजय के परिवार में कोई शख्स 10वीं कक्षा से आगे तक नहीं पढ़ा है।
50 हजार से 10 करोड़ तक ki Company | JYOTI WADHWA SUCCESS STORY | Motiva… https://t.co/eHOUBQGukB via @YouTube #successstory #MotivationalSpeaker #motivationalstory #smallbuisnessidea #Buisness #motivation #success #bestiesforlife #bestmotivation
— AJAY SINGH KUSHWAHA (@AJAYSIN00892125) September 12, 2020
योर स्टोरी वेबसाइट के मुताबिक गरीबी की वजह से अजय को 9वीं के बाद स्कूल छोड़कर नौकरी करनी पड़ी। उन्होंने सीनियर एडवोकेट उदेश कक्कड़ के यहां क्लर्क रहते हुए अपनी 10वीं और 12वीं की पढ़ाई प्राइवेट तौर पर पूरी की। इसके बाद उन्होंने अबोहर के खालसा कॉलेज से बीए किया और पंजाब विश्वविद्यालय के बठिंडा सेंटर से एलएलबी की। उसके बाद न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए और बिना कोचिंग के पीसीएस ज्यूडिशियल की परीक्षा दूसरी बार में ही पास कर ली। अब वह जज बन गए हैं। वह कहते हैं कि कोई गरीब हो या अमीर, मेहनत का फल तो मिलता ही है। उनके माँ-बाप ने खुद को आग पर तपाते हुए कामयाबी के इस ऊंचे मोकाम तक पहुँचाया है।
बीए करने के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के बठिंडा सेंटर से लॉ की डिग्री बहुत ही मुश्किल हालातों में प्राप्त की। इसके बाद अजय न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। वह बताते हैं कि उन्होंने पीसीएस ज्यूडिशियल की यह परीक्षा दूसरी बार में पास की है। और हां, अजय ने यह कारनामा बिना कोचिंग लिए कर दिखाया। अजय कहते हैं- आज मैं जो भी हूं वह अपने माता-पिता की मेहनत की वजह से हूं। उन्होंने खुद आग में तपकर मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है। वो दूसरे को संदेश देते हैं कि सफलता मेहनत करने वालों के कदम जरूर चूमती है।