New Delhi : बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को कहा कि श्रम कानून में बदलाव श्रमिकों के व्यापक हित में होने चाहिये। लेकिन वर्तमान में हो रहे बदलाव श्रमिकों के अहित में हैं। मायावती ने ट्वीट किेया है – कोरोना वायरस संकट के बीच मजदूरों/कामगारों का सबसे बुरा हाल है। इसके बावजूद उनसे आठ के बजाय 12 घंटे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः लागू करना अति-दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ कामगारों के व्यापक हित में होना चाहिए, ना कि उनके अहित में।
1. कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे 8 के बजाए 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुनः देश में लागू करना अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण। श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये ना कि कभी भी उनके अहित में।
— Mayawati (@Mayawati) May 9, 2020
उन्होंने लिखा है – बाबा साहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने श्रमिकों के लिए काम के प्रतिदिन 12 घंटे को घटाकर आठ घंटे तय करने और उससे अधिक समय तक काम लेने पर उन्हें अधिक पैसे दिये जाने की व्यवस्था तब की थी, जब देश में कामगारों का शोषण चरम पर था। इसे बदलकर देश को उसी शोषणकारी युग में ढकेलना क्या उचित है?
उन्होंने कहा – देश में वर्तमान हालात के मद्देनजर श्रम कानून में ऐसा संशोधन करना चाहिये जिससे खासकर कारखानों/निजी संस्थानों में काम करने वाले कामगारों के लिए वहीं ठहरने आदि की व्यवस्था हो। किसी भी स्थिति में वे भूखे न मरें और न ही उन्हें पलायन की मजबूरी हो। ऐसी कानूनी व्यवस्था होनी चाहिए।
मायावती ने कहा – सरकारें बेरोजगारी एवं भूख से तड़प रहे करोड़ों श्रमिकों/मजदूरों के विरुद्ध शोषणकारी आदेश लगातार जारी कर रही हैं। यह अति-दुखद एवं सर्वथा अनुचित है, जबकि कोरोना वायरस संकट में इन्हें ही सबसे ज्यादा सरकारी मदद एवं सहानुभूति की जरूरत है।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित उद्योगों को मदद देने के मकसद से सरकार ने उद्योगों को अगले तीन साल के लिए श्रम कानूनों से छूट देने का फैसला किया है।