UTTAR PRADESH : मथुरा में मां की मौत के बाद बेटियों में जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया। श्मशान घाट पर मां का शव रखा रहा और बेटियां लड़ती रहीं। जब तक मामले का निपटारा नहीं हो गया तब तक शव को मुखाग्नि नहीं दी जा सकी। इन सबमें करीब 8 से 9 घंटे बर्बाद हो गए।
वरिष्ठ पत्रकार रूबिका लियाकत कहती हैं कि ऐसी ख़बरें कभी सुनने में क्यों नहीं आती कि दो बेटियों में माँ को लेकर ठनी… माँ, मेरे पास रहेगी… नहीं मेरे पास रहेगी… ये बच्चे अपने माँ-बाप के लिए क्यों नहीं लड़ते.. उनकी जायदाद के लिए ही क्यों…माँ-बाप की दुआओं के लिए लड़ो रे जाहिलों…
शमशान में जमीन बंटवारा के लिए लड़ती रही बेटियां : भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा से एक शर्मनाक करने वाली घटना सामने आ रही है. बताया जाता है की मां के निधन होने पर अंतिम संस्कार करने के बदले बेटियों में जमीन बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया. 7 घंटे तक शमशान घाट में डेड बॉडी चिता पर रखा रहा. विवाद बढ़ने के बाद पड़ोसियों ने हस्तक्षेप किया और शमशान घाट में ही स्टांप पेपर मंगा कर तीनों बहनों के बीच जमीन का बंटवारा करवाया, इसके बाद मुखाग्नि दी गई.
पूरा मामला मथुरा के गोविंद नगर का बताया जाता है, कहा जा रहा है कि बिरला मंदिर के पास स्थित शमशान घाट में घंटों हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. 98 साल की पुष्पा देवी का निधन हुआ था. शमशान घाट में अंतिम संस्कार करने के बदले उनके तीनों बेटियों में जमीन और संपत्ति को लेकर विवाद हो शुरू गया. पुष्पा मूल रूप से नगला छीता गांव की रहने वाली थी और उनके पति गिर्राज प्रसाद का निधन बहुत पहले हो चुका है.
पड़ोसियों ने बताया कि पुष्पा देवी का कोई बेटा नहीं है इसलिए संपत्ति पर अधिकार उनके तीनों बेटियों का ही बनता है. यही कारण है की वृद्ध होने के बाद माताजी अपनी शादीशुदा बेटियों के साथ रहकर जीवन काट रही थी. वर्तमान समय में वह अपनी बेटी मिथिलेश के पास रह रही थी. बीमार होने के कारण शनिवार की रात उनकी मौत हो गई. सुबह 10:30 पर उनकी डेड बॉडी को शमशान घाट लाया गया.
पड़ोसियों ने बताया कि बड़ी बेटी पुष्पा देवी अपनी बहन सुनीता के साथ शमशान घाट आ पहुंची और दोनों ने मिलकर वहां जमकर बखेड़ा किया. उन दोनों का आरोप था की मां के नाम पर चार बीघा जमीन है जिसे मिथिलेश ने अपने नाम लिखवा लिया है. पूरी संपत्ति वह अकेले हजम करना चाहती है.
घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय पुलिस को भी शमशान घाट बुलाया गया और रिश्तेदारों से बात कर पहले स्टांप पेपर मंगवाया और तीनों बहनों के बीच समझौता करवाया.