भक्तों की सारी चिंताए दूर करती हैं माता चिंतपूर्णी..महादेव भी इनके साथ यहां विराजमान हैं

New Delhi : चिंतपूर्णी धाम 108 शक्ति पीठों में से एक है। हिमांचल प्रदेश में धौलाधार पर्वत की गोद में श्री छिन्नमस्तिका धाम के नाम से विश्व विख्यात मंदिर माता चिंतपूर्णी के नाम से भी जाना जाता है। चिंतपूर्णी धाम हिमाचल के ऊना जिले में स्थित है। चिंतपूर्णी मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है जो सोला सिग्ही पहाडिय़ों की श्रेणी में आता है। चिंतपूर्णी चालीसा में लिखा है की माता चिंतपूर्णी चार शिवलिंग में घिरी हुई हैं जिसकी बहुत कम लोगों को जानकारी है। इनमें से एक मंदिर शिववाड़ी जो गग्रेट के पास है बहुत प्रसिद्ध है दूसरा मंदिर कालेश्वर धाम जोकि अम्ब में पड़ता है।

सतलुज दरिया बनने के समय यह दो मंदिर अलोप हो गए थे। जोकि बहुत खोज करने के उपरांत मिले। तीसरा मंदिर जिसकी लोगों को जानकारी नहीं है। वो मंदिर है नारायण देव मंदिर ज्वाला जी रोड पर डेरा चौंक से हरिपुर रोड पर बीस किलोमीटर की दूरी पर कासब मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। जोकि असल में नारायण देव ही है। चौथा मंदिर मचकूंद महादेव मंदिर ज्वाला जी रोड पर डल्यिरा चौंक से बाएं होकर आगे एक किलोमीटर दूरी पर पुली आती है पुली से बाएं हाथ होकर पांच कीलोमीटर की दूरी पर मचकूंद महादेव मंदिर आएगा। मान्यता है कि जो भक्त इन चारों मंदिरों के दर्शन करने के उपरांत माता चिंतपूर्णी के दर्शन करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
मान्यता है कि इस स्थान पर सती माता के चरण गिरे थे। पिंडी रूप में मां के दर्शन होते हैं। मंदिर एक बरगद के वृक्ष के नीचे बना हुआ है। मंदिर के चारों तरफ सोने का आवरण लगा हुआ है।

दर्शनों को प्राप्त कर मनुष्य सभी सुखों का भागी बनता है और उसके जीवन में आने वाली सभी चिंताओं का अंत होता है। नवरात्रि और सावन के पावन समय में तो यहां का नजारा देखते ही बनता है। मान्यता है कि मां चिंतपूर्णी के दर्शन करने वाले भक्तों की न केवल चिंताएं समाप्त होती हैं बल्कि भक्तों के असंभव कार्य भी पलक झपकते ही पूर्ण हो जाते हैं।

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