New Delhi : कोरोना आपदा और लॉकडाउन के इस दौर में महाराष्ट्र के बाद अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा नये मरीज आ रहे हैं तो वो है मध्य प्रदेश। तमाम प्रयासों के बाद भी भोपाल और इंदौर में कोरोना पर लगाम नहीं लग पा रही है। लेकिन ऐसे में भी एक जिला है दतिया जो पूरी तरह से संक्रमण मुक्त है। और इसके पीछे कोरोना वारियर्स की भूमिका बेहद अहम है जो अपना घरबार, परिवार छोड़कर लोगों की जान बचाने में दिनरात एक किये हुये हैं। इन्हीं में एक दतिया के बड़ौनी थाना की प्रभारी भूमिका दुबे भी हैं। भूमिका दुबे ऐसी महिला पुलिस अफसर हैं, जिन्होंने रात-दिन अपनी ड्यूटी पर कुर्बान कर दिये हैं। वह तीन-चार दिन में एक बार घर जा पाती हैं। मगर, बच्चों से दूर रहती हैं।
भूमिका बताती हैं – मैंने अपने 3 साल के बच्चे को 20 दिन से गोद में नहीं लिया। ऐसा इसलिए, क्योंकि मैं चाहती हूं कि, मेरी वजह से मेरे बच्चे या परिवार को कोई मुसीबत न झेलनी पड़े। रोजाना मैं ड्यूटी के दौरान कई लोगों के संपर्क में आती हूं, न जाने कौन संक्रमित हो। इसलिए अपने बच्चे से दूरी बना रखी है।
वह कहती हैं – दतिया पुलिस लाइन में हम पुलिसकर्मियों के लिए सरकारी आवास है। वह मेरे थाने से 12 किमी दूर है। भूमिका ने बताया – सुबह जब मैं ड्यूटी को निकलती हूं तो बेटा सो रहा होता है। उसे दूर से ही देख लेती हूं, लेकिन गोद में नहीं लेती। हमारा तो भीड़ के बीच भी जाना होता है। इसलिए बहुत सतर्कता बरतनी पड़ती है। टेंशन में मेरा वजन भी कई किलो घट गया है, लेकिन ड्यूटी तो ड्यूटी होती है।
गुजरात के राजकोट की महिला पुलिसकर्मियों की दिनचर्या और ड्यूटी के प्रति उनकी सजगता से भी पुलिस का फर्ज बखूबी समझा जा सकता है। यहां पड़धरी में स्थित थाने में तैनात दो पुलिसकर्मी अपने बच्चों को रोज घर से साथ लाती हैं और बिना थके ड्यूटी करती हैं। इन बच्चों में 10 माह की बेटी और 14 महीने का बेटा शामिल हैं। दोनों बच्चों को साथ में रखते हुए वे सोशल डिस्टेन्सिंग का बखूबी पालन करती हैं। बच्चों की इतनी कम उम्र में कोई मां आमतौर पर देखभाल करने के लिए घर पर समय बिता रही होती है। मगर, इन पुलिसकर्मियों से यह सीख मिलती है कि, मुश्किल घड़ी में भी फर्ज निभाना नहीं भूलना चाहिए।