बिजली महादेव : मणि जैसे हैं शिव, रौशनी चमकते ही हर हर महादेव की आवाज स्वत: फूट पड़ती है

New Delhi : बिजली महादेव भारत के सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बास नदी के पार कुल्लू से 22 किलोमीटर दूर है। मंदिर से हम कुल्लू और पारवती घाटी के विशालदर्शी दृश्य को देख सकते है। मंदिर में 60 फीट ऊँची बिजली महादेव की मूर्ति सूरज में लगे सिल्वर मणि की तरह चमकती है। रोशनियों के इस मंदिर में, ऐसा कहा जाता है की ऊँची मूर्ति रौशनी के माध्यम से ही अपना आशीर्वाद दर्शाती है। ऐसा मान्यता है कि मंदिर में रौशनी के चमकते ही हर हर महादेव को आवाज़ भी निकलने लगती है।

बिजली महादेव मंदिर काश स्टाइल में बना मंदिर है जिसमे शिव-लिंग भी है। यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर हरी झाड़ियो से घिरे हुए जंगल के बीच में है। इस जगह का नाम अचानक हुए एक महान चमत्कार के बाद ही रखा गया था। यहाँ स्थापित शिवलिंग बिजली से कयी टुकडो को बट गया था और फिर मंदिर के पुजारी ने सभी टुकडो को जमा किया और उन्हें दोबारा जोड़ा। हर साल शिवरात्रि के समय यहाँ भक्तो की भीड़ उमड़ आती है तो सभी मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना भी करते है। यह मंदिर कुल्लू घाटी में तक़रीबन 2438 मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। बिजली महादेव भारत के सबसे प्रसिद्ध और रोमांचक मंदिरों में से एक है।

यह मंदिर बास नदी के पार कुल्लू से 14 किलोमीटर दूर है।मंदिर से हम कुल्लू और पार्वती घाटी के विशालदर्शी दृश्य देख सकते हैं। इस मंदिर से जुडी एक और महानता “वशिष्ट मुनि” है जिन्होंने इस मंदिर में भगवान शिव से प्रार्थना की थी। इस धरती को बचाने के उद्देश्य से उन्होंने शिव को धरती पर पड़ने वाली बिजली को शोषित करने के लिए प्रार्थना की थी।

उनकी प्रार्थना का उन्हें जवाब भी मिला। और पार्वती नदी और बास नदी पर ही स्थानिक लोगो को एक अद्भुत चमत्कार देखने मिला था। मंदिर में बार-बार बिजली गिरने और रौशनी के चमकने की वजह से ही इस मंदिर को बिजली महादेव का नाम दिया गया था।
इस मंदिर का आकार पाहरी स्टाइल का है। बिजली महादेव मंदिर के प्रवेश द्वार में नंदी की एक मनमोहक कलाकृति बनी हुई है। पौराणिक कलाकृतियों के साथ ही मंदिर में आभूषित द्वार भी बने हुए है। आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है की भगवान शिव नही चाहते थे की जब बिजली गिरे तब जन धन को इससे नुकसान पहुचे। और भोलेनाथ लोगो को बचाने के लिए इस बिजली को अपने उपर गिरवाते है। इसी वजह से यहाँ भगवान शिव को बिजली महादेव कहा जाता है।

आप कुल्लू तक आसानी से पहुच सकते हो और फिर इसके बाद आपको बिजली महादेव के लिए बस स्टैंड से बस मिलेगी जो तक़रीबन चांसरी ग्राम तक जाती है। या फिर आप बस स्टैंड के पास से कुल्लू टैक्सी स्टैंड से प्राइवेट कैब भी कर सकते है। लेकिन आपको चांसरी से 3 किलोमीटर की ऊंचाई तक सीढियाँ चढ़नी होगी। यदि आपका स्वास्थ अच्छा है और यदि आप तंदरुस्त हो तो आप कुल्लू से बिजली महादेव तक पैदल यात्रा भी कर सकते हो। यह रास्ता निश्चित ही काफी सुन्दर जंगल और मनमोहक बागो और छोटे-छोटे गाँवो से भरा है।

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