New Delhi : कर्नाटक और गुजरात राज्य में शुक्रवार 8 मई को लॉकडाउन के बीच अपने-अपने राज्य भेजे जाने की मांग को लेकर हजारों प्रवासी कामगारों ने रेलवे स्टेशन और सरकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। बाद में पुलिस ने समझा-बुझाकर वापस भेजा। कर्नाटक में मेंगलुरु स्थित रेलवे स्टेशन पर 700 से अधिक श्रमिक एक सोशल मीडिया पोस्ट वायरल होने के बाद उमड़े, जिसमें यह अफवाह थी कि उन्हें घर भेजने के लिए निशुल्क विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया गया है। जिसके चलते वे सुरथकल, नन्थूर, कुलुर और डेरेबेल से पैदल चलकर स्टेशन पहुंचे।
Bengaluru: A Shramik special train leaves from Chikkabanavara railway station for Lucknow, Uttar Pradesh #Karnataka pic.twitter.com/jodXh5QNW8
— ANI (@ANI) May 8, 2020
इधर बेंगलुरु शहर में एक निर्माण स्थल पर रह रहे सैंकड़ों प्रवासी श्रमिकों का दावा है कि बिल्डर ने उन्हें वहां बंधक बनाकर रखा है और सरकार से उन्हें उनके गृहनगर भेजने की अपील की है। उनका यह भी आरोप है कि वे तुमकुरु रोड पर अनचेपल्या स्थित निर्माण स्थल पर बेहद मुश्किल हालात में रह रहे हैं, जहां जल्द एक विशाल टाउनशिप बनने वाली है। साथ ही कहा कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से उन्हें उनकी मजदूरी नहीं दी गई है। घर भेजने का इंतजाम करने की अपील करते हुए झारखंड के बोकारो निवासी कुमार मंडल ने कहा कि हम यहां 1,800 मजदूर हैं। हम बहुत मुश्किल हालात में रह रहे हैं। हमें कमरों के अंदर रहना होता है। एक अन्य श्रमिक ने कहा, हमारे पास नकदी नहीं है। बिल्डर ने हमें यहां बंधक बनाकर रखा है। शुक्र है, वह हमें खाना दे रहा है। लेकिन हम घर जाना चाहते हैं।
श्रमिकों का कहना है कि उन्होंने अपने अपने राज्य लौटने के लिए सरकार की वेबसाइट पर अपने आप को पंजीकृत किया है लेकिन अब तक सरकार या रेलवे ने उन्हें इस बारे में सूचित नहीं किया है कि उन्हें कब वापस भेजा जाएगा। दूसरी तरफ मंगलुरू स्टेशन पहुंचे कुछ श्रमिकों के हाथों में नारे लिखे पोस्टर थे। आरपीएफ और जीआरपी को उन्हें काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। शहर के पुलिस आयुक्त पीएस हर्षा के तीन दिनों के भीतर घर भेजने के प्रबंध करने के आश्वासन के बाद ही वे वहां से हटे। पुलिस ने मजदूरों के हवाले से कहा कि वे बिना नौकरी, पैसा और पर्याप्त भोजन के शहर में फंसे हुये हैं।
वहीं गुजरात के अहमदाबाद स्थित गोटा इलाके में एक अफवाह के बाद उपजिलाधिकारी के कार्यालय के बाहर करीब 2,000 प्रवासी मजदूर जमा हो गए। पुलिस ने कहा कि भीड़ स्पष्ट तौर पर उस अफवाह के कारण उमड़ी, जिसमें प्रवासी मजदूरों को स्टेशन ले जाने वाली एक बस के सरकारी कार्यालय के बाहर पहुंचने की बात थी। भीड़ उमड़ने की खबर पर पुलिस अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और मजदूरों को वहां से जाने के लिए मनाया।
Delhi: A 'Shramik special train' carrying around 1200 migrants left from New Delhi railway station for Muzaffarpur, Bihar, earlier today. pic.twitter.com/z1UmSijR38
— ANI (@ANI) May 8, 2020
ज्यादातर श्रमिक उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। लॉकडाउन के बीच अपने गृहनगर लौटने के इच्छुक प्रवासियों को ऑनलाइन आवेदन देना है। वे ऑफलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं जिसे उन्हें जिलाधिकारी के तहत किसी निर्देशित कार्यालय में जमा कराना होगा। पुलिस के सहायक आयुक्त एमए पटेल ने कहा – उपजिलाधिकारी का कार्यालय भी ऐसे आवेदन स्वीकार करता है। चूंकि गुरुवार को यहां से श्रमिकों को ले जाने वाली एक बस रवाना हुई थी इसलिए एक अफवाह फैल गई कि जो कोई भी घर जाना चाहता है उसे यहां पहुंचना होगा। इसलिए अचानक भीड़ उमड़ पड़ी।