New Delhi : Lucknow में CAA के विरोध में हुए प्र दर्शन के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने के मामले में Yogi Adityanath सरकार ने सोमवार को इलाहाबाद Highcourt में अपना जवाब दाखिल किया।Yogi Adityanath सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने का हवाला देते हुए कहा है कि अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय दिया जाए। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि 16 मार्चतक सभी पोस्टर हटाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मामला बड़ी बेंच को भेज दिया है।
Additional Advocate Genral नीरज त्रिपाठी ने सीलबंद लिफाफे में High Court के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से पोस्टर हटाए जाने को लेकर अनुपालन रिपोर्ट फिलहाल दाखिल नहीं की है। बल्कि कोर्ट सेअनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए हलफनामे के जरिए उन्होंने समय मांगा है।
हलफनामे में कहा गया है कि इस मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और अधिक समय चाहिए। राज्य सरकार के हलफनामे के आधार पर अब कोर्ट मामले में कोई फैसला करेगी। इस मामले में अब कोर्ट ही तय करेगी कि राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कितना समय दिया जाय।
इससे पहले सीएए के विरोध को लेकर लखनऊ में हुईप्र दर्शन के आरोपियों के सार्वजनिक तौर पर पोस्टर लगाए जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 7 मार्च को स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लेते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सरमेश सिन्हा की डिविजन बेंच ने इस मामले में 8 मार्च को सुनवाई पूरी कर जजमेंट रिजर्व कर लिया था। अगले दिन 9 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लखनऊ के डीएम और पुलिस कमिश्नर को तुरंत पोस्टर हटाने और कार्रवाई रिपोर्ट 16 मार्च को दाखिल करने के लिये कहा था।
कोर्ट ने आरो’ पियों के पोस्टर लगाए जाने की कार्रवाई को अनावश्यक और निजता के अधिकार का उल्लंघन माना था। आदेश के अनुपालन की कार्रवाई रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने का आदेश दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ UP सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट से UP सरकार को कोई फौरी राहत नहीं मिली है और मामला तीन जजों की लार्जर बेंच को रिफर हो गया है। हाई कोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बावजूद लखनऊ में लगे पोस्टर अभी तक हटाए नहीं गए हैं। इसी आधार पर राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष हलफनामा दाखिल कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा गया है।