इलाज के अभाव में पैर खो चुका था बिहार का लाडला, सोनू सूद ने हाथ पकड़ कहा- तू दौड़ेगा मेरे भाई

New Delhi : बॉलीवुड इंडस्ट्री अभी ड्रग्स और एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत से जुड़ी खबरों के बवंडर में घिरी हुई है। जो मामला सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच से शुरू हुआ था वो आज ड्रग्स की नई नई कहानियों में फंस गया है। सूत्रों के हवाले से नित नए खुलासे हो रहे हैं, लेकिन बिहार के बेटे सुशांत के नाम पर लगता है बस राजनीति ही होकर रह जाएगी। इन सब नकारात्मक खबरों के बीच हमारा एक स्टार एक्टर है, जो चुपचाप अपने कर्मपथ पर चला जा रहा है। सुपरमैन की तरह पूरे भारत वर्ष में तब लोगों की मदद में जुटा हुआ है जब कोरोना नामक महामारी ने सरकारों तक को पंगु बना रखा है।

उस महान शख्स का नाम सोनू सूद है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था से शुरू हुआ ये अध्याय आज भी जारी है। अतिश्य़ोक्ति नहीं होगी जब आने वाले भारत की कहानियों और किताबों में लिखा होगा कि एक था एक्ट्रेस सोनू सूद।
आज हम एक बिहारी युवा के लिए सोनू सूद की तरफ से मिली मदद की कहानी आपको सुनाने जा रहे हैं। इस कहानी से आपका मन भी इस असली हीरो के प्रति प्रेम से भर उठेगा। दरअसल ये पूरी कहानी 22 सितंबर को किए गए एक ट्वीट से शुरू होती है। प्रदीप कुमार नाम का एक युवा ट्वीट करता है। इस ट्वीट में बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले एक शख्स की पीड़ा बताई जाती है। प्रदीप कुमार अपने ट्वीट में तीन तस्वीरें शेयर करते हैं। दो तस्वीरों में एक युवा कुर्सी पर लाठी लेकर बैठा है और उसके घुटनों को लाल घेरे में रखा गया है। एक तस्वीर में उसके बगल में एक महिला है, जो शायद अंडों की दुकान चला रही है।
सोनू सूद ने पिछले दिनों अपने 47वें जन्मदिन पर एक बड़ा ऐलान कर दिया। सोनू सूद ने कहा कि वो अब प्रवासी मजदूरों को रोजगार भी दिलवाएंगे। इसके लिए बकायदा उन्होंने एक वेबसाइट pravasirojgar.com और ऐप भी लॉन्च किया ताकि लोग वहां खुद को रजिस्टर कर सकें। इसके अलावा एक टोल फ्री नंबर 1800 121 664422 भी लॉन्च किया गया। सोनू सूद की इस मुहिम का मकसद प्रवासी मजदूरों को नौकरी दिलाने में मदद करना है। अबतक इसकी मदद से हजारों लोगों को नौकरियां मिली हैं। अगर आप भी मुश्किल में हैं तो सोनू सूद के इस इनिशिएटिव से जुड़ सकते हैं। हो सकता है कि यह सुपरमैन आपकी भी मदद को आ जाए।

इस ट्वीट में प्रदीप कुमार लिखते हैं कि आदरणीय सोनू सूद जी। इनका नाम अवधेश पासवान दिला औरंगाबाद, बिहार के रहने वाले हैं। लॉकडाउन के समय इनका एक्सीडेंट हो गया था जिसमें इनका पैर टूट गया. पैसों के अभाव में इनका सही तरीके से इलाज नहीं हो पाया था। अब इनका पैर मुड़ नहीं पाता है। प्लीज सर इनको मदद कीजिए। अब आप ही सोचिए कि सिस्टम से थका हारा एक शख्स सोनू सूद को ट्वीट कर क्या ही आस लगाता होगा। लेकिन सोनू सूद तो सोनू सूद ठहरे। जल्द ही ये ट्वीट वायरल हो चुका था क्योंकि सोनू सूद इस रीट्वीट कर अपनी बात कह चुके थे।
ऊपर हम आपको बता चुके हैं कि प्रदीप कुमार ने मदद के लिए यह ट्वीट 22 सितंबर को किया। सोनू सूद ने तनिक भी देर नहीं लगाई। 23 सितंबर को सोनू सूद का ट्वीट आ गया। इस ट्वीट में एक्टर ने लिखा कि अगले हफ्ते आपकी सर्जरी है बिहारी बाबू। जल्द ही तंदुरुस्त होकर पूरा बिहार भी अपने कदमों से नाप पाएंगे मेरे भाई। आप इस ट्वीट को पढ़कर दिल पर हाथ रखकर सोचिए। उस गरीब का आधा कष्ट तो यह बात पढ़कर ही दूर हो गया होगा कि सोनू सूद ने उसकी अपील को सुना और जवाब दिया है। लेकिन सोनू सूद के दर पर मदद मांगने पहुंचे लोगों की दरख्वास्त केवल सुनी नहीं जाती बल्कि इसके लिए प्रॉपक एक्शन भी लिया जाता है।
आपको क्या लगा था कि 23 सितंबर को किए गए ट्वीट में सोनू सूद ने अंदाजे से ही एक हफ्ता लिख दिया था? अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत हैं। सोनू सूद को इस बिहारी युवक के पैरों का ऑपरेशन कराने में एक हफ्ता ही लगा। जिस प्रदीप कुमार ने सोनू सूद से ट्विटर पर मदद मांगी थी उनका अगला ट्वीट 29 सितंबर को ही आ गया। इस ट्वीट में औरंगबादा के अवधेश पासवान डॉक्टर के साथ स्ट्रेचर पर बैठे नजर आ रहे हैं और उनके पैरों में पट्टी है। यानी तस्वीर से ही साफ नजर आ रहा है कि अवधेश पासवान को मेडिकल सहायता मुहैया कराई जा चुकी है।
प्रदीप कुमार इस ट्वीट में लिखते हैं कि सोनू सूद सर इनका इलाज करवाने के लिए पूरा बिहार तहे दिल से आपका धन्यवाद करता है। पिछले कई महीनों से हमलोग गुहार लगा रहे थे। हमारी आवाज सरकार ने भी नहीं सुनी पर दूर बैठे मुंबई में सोनू सर ने आवाज सुनी भी और तुरंत इनका इलाज करवाया। बहुत बहुत धन्यवाद। और आप सोनू सूद की दरियादिली देखिए। इस शुक्रिया का ट्वीट पढ़ने के बाद सोनू सूद ने इसका भी जवाब लिखा। वो अपने ट्वीट में लिखते हैं कि बिहार के लिए इतना तो बनता ही था। साथ में उनलोगों को टैग कर शुक्रिया लिखते हैं जिनलोगों ने इस नेक काम में मदद की।

ऐसा कोई पहली बार नहीं है जब सोनू सूद बिहारी लोगों की मदद करने को आगे आए हैं। पहले लॉकडाउन के दौरान सोनू सूद ने हजारों की तादाद में बिहारी मजदूरों को घर भिजवाने का प्रबंध किया। सैक़़ड़ों की संख्या में बस लगवाईं, हजारों के ट्रेनों में टिकट कटवाए। इसके बाद वो लॉकडाइन में रोजगार खो चुके मजदूरों ऐर युवाओं को नौकरी दिलाने की जुगाड़ में लग गए। इसी क्रम में सोनू सूद ने बिहार के छपरा के 250 युवकों और युवतियों को एक झटके में नौकरी दिलवाई।  (साभार- bihar.express, Live Bihar)

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