New Delhi : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले कई दिनों से तनाव है। इस तनावपूर्ण स्थिति पर पूरी दुनिया की नजर है। एक ओर जहां चीन भी बातचीत से रास्ता निकालने की बात करता है वहीं दूसरी ओर चीन आधी रात के अंधेरे में युद्धाभ्यास भी कर रहा है। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की तिब्बत मिलिट्री कमांड ने सोमवार देर रात 4,700 मीटर की ऊंचाई पर सेना भेजी और कठिन हालात में अपनी क्षमता का परीक्षण किया।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस युद्धाभ्यास की जानकारी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है – भारत और चीन की सीमा ऊंचाई पर है और दोनों देशों की सेनाओं के बीच में कुछ घटनाएं हुई हैं जिसके बाद दोनों तरफ तैनाती की गई है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि चीन तनाव के इस माहौल में एक कदम आगे की तैयारी करके चल रहा है। अमेरिका भी इस बात को लेकर चिंता जता चुका है कि भारत से लगी सीमा पर चीन का आक्रामक रवैया खतरनाक है।
Chinese #PLA Tibet Military Command recently sent troops to high-altitude region at 4,700m elevation at night for infiltration exercises behind the enemy line, destroyed opposing armored vehicles and launched strikes on enemy headquarters. https://t.co/5q43OE6COO pic.twitter.com/Y9wDt5M5kM
— Global Times (@globaltimesnews) June 2, 2020
चीन सेंट्रल टेलिविजन के मुताबिक सोमवार रात 1 बजे स्काउट यूनिट ने तांगुला पहाड़ी की ओर बढ़ना शुरू किया। मार्च के दौरान गाड़ियों की लाइटें बंद रहीं और नाइट विजन डिवाइस की मदद ली गई ताकि ड्रोन से बचा जा सके। रास्ते में आने वाली रुकावटों को पार करके ड्रोन की मदद से विस्फोट किये गये। टार्गेट के करीब पहुंचकर कॉम्बैट टेस्ट भी किया गया जिसके लिये स्नाइपर यूनिट को आगे भेजा गया। साथ ही फायर स्ट्राइक टीम ने हल्के हथियारों वाली गाड़ियों को ऐंटी टैंक रॉकेट से उड़ाया।
इसके बाद कमांडरों ने गाड़ी के ऊपर लगे इन्फ्रारेड सैन्य परीक्षण सिस्टम की मदद से सेना की टुकड़ी को आगे की लड़ाई के लिए टार्गेट तक पहुंचाया। इस युद्धाभ्यास के दौरान करीब 2000 मोर्टार शेल, राइफल ग्रेनेड और रॉकेट्स का इस्तेमाल किया गया। इससे नये हथियारों और उपकरणों के साथ जंग लड़ने के लिए सेना कितनी तैयारी है, यह पता लगा। साथ ही, खुद कठिन परिस्थिति में कैसे लड़ना है इसका परीक्षण भी हुआ।
ग्लोबल टाइम्स को साउथवेस्ट चीन के तिब्बत ऑटोनॉमस रीजन के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रह चुके रिटायर्ड अधिकारी ने बताया – इस इलाके में रातें बहुत ठंडी होती है और ऊंचाई पर ऑक्सिजन कम हो जाती है जिससे सेना को परेशानी हो सकती है और हार्डवेयर को भी खराबी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि रात के वक्त में हमले से सिर्फ एक जंग ही जीती जा सकती है और इसमें अचानक हमला करने से मदद मिल सकती है।