New Delhi : बिहार के भोजपुर का एक वीर सपूत देश की रक्षा करते हुये लद्दाख की सीमा पर इस देश के लिये अपना सर्वस्व न्यौछावर करता गया। जवान मूल रूप से जिले के बिहिया थाना क्षेत्र के पहरपुर गांव के रहने वाले रविशंकर ओझा के 28 वर्षीय पुत्र कुंदन ओझा थे। उनका परिवार करीब तीस साल से झारखंड के साहेबगज में रह रहा है। मंगलवार की शाम बेटे की खबर मिलते ही गांव का माहौल गमगीन हो उठा। कुंदन के पैतृक घर में भी यही हाल है। सबसे दुखद तो यह है कि कुंदन अपने पहले बच्चे की सूरत भी नहीं देख सके।
#KundanOjha We salute u & your family. Sacrifice of our army soldiers in defending our mother land has made entire nation indebted to these martyrs. High time to take tough decision to teach lesson to China. We should learn from Israel controlling 32 enemy countries. pic.twitter.com/dhQrniYD5H
— Alok Ojha (@true_wisdom9) June 17, 2020
इससे गांव व घर के लोग काफी मर्माहत हैं। बताया जाता है कि किसान रविशंकर ओझा के पुत्र कुंदन ओझा की करीब दस साल पहले नौकरी लगी थी। महज दो साल पहले उनकी शादी हुई थी और बीस दिन पहले ही बच्ची हुई थी। घर में पहली बेटी होने को लेकर काफी खुशी थी। कुंदन ओझा तीन भाई हैं। सबसे बड़े और छोटे भाई अभी कमाई नहीं करते। कुंदन ही घर के अकेले कमाने वाले पूत थे। उनके चाचा धर्मनाथ ओझा आरा में वकील हैं। ग्रामीण प्रवीण रंजन ओझा उर्फ पिंटू ओझा बताते हैं इनके परिवार के लोग तीस वर्ष पहले से ही झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले के बिहारी ग्राम में रहते है। कुंदन व उनके परिवार के लोग शादी-विवाह सहित अन्य फंक्शन में गांव आते रहते हैं।
At first,we didn't believe it but later higher authorities told us what had happened.We're under deep shock.Our son faced many challenges: Parents of Col Santosh Babu,Commanding Officer,16 Bihar regiment who lost his life in violent face-off with Chinese soldiers in Galwan valley pic.twitter.com/m0LggsLCPO
— ANI (@ANI) June 17, 2020
परिजनों ने बताया कि कुंदन के ससुर दिल्ली में नौकरी में हैं। उनकी सास घर पर रह रही हैं। दामाद की सूचना मिलते ही ससुराल में कोहराम मच गया। परिवार के चाचा विवेक कुमार दूबे ने बताया कि नेहा तीन बहनें हैं। बड़ी बहन निधि और छोटी निशा है। दो भाई हेमंत और लक्की हैं। घर पर जवान की सास पुतुल देवी एवं दादा सुरेन्द्र दूबे व दादी मनोरमा देवी हैं। पड़ोसी ने बताया कि एक वर्ष पहले वे ससुराल आए थे। काफी मिलनसार प्रवृत्ति के थे। जब भी आते थे, सभी से मिलते-जुलते थे।