New Delhi : रंग किसी के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति सिर्फ काले वस्त्रों में रहना और काले कपड़ों में हीबाहर जाना पसंद करता है, तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति खुद को सुरक्षित रखना चाहता है और अपने बारे में कुछ बताना नहींचाहता। रंग हमारे स्वास्थ्य, स्वभाव और मनोविज्ञान के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। बाजार इस मनोविज्ञान को समझता है और उसहिसाब से चीजे तय करता है। होली के उपलक्ष्य पर जानें रंगों का मनोविज्ञान।
गुलाबी : यह रंग कोमलता और मासूमियत का भी प्रतीक है। यह पारंपरिक तौर पर रोमांस और नारीवाद के लिए दर्शाया जाता है।इसलिए सौंदर्य सामग्री वाली कई कंपनियां अपने उत्पादों में गुलाबी रंग का इस्तेमाल करती हैं। बच्चों के कई ब्रांड्स में भी इसकाइस्तेमाल होता है।
नीला : यह उपभोक्ताओं के बीच विश्वास और सुरक्षा का भाव देता है। इसीलिए कई बड़े बैंक, वित्तीय संस्थाएं, बिजनेस अपने लोगोऔर नाम में नीले का इस्तेमाल प्रमुखता से करते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टाटा, एलआईसी, इंटेल। इस सूची में और भी कई नाम हैं।
नारंगी : मानसिक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है। मस्तिष्क व शरीर के बीच संतुलन स्थापित करने में भी मुख्य भूमिका अदा करताहै। यह यौवन की निशानी के तौर पर देखा जाता है। कई वित्तीय संस्थाओं, सॉफ्ट ड्रिंक्स आदि की ब्रांडिंग में इस रंग का इस्तेमाल होताहै।
पीला : यह सूर्य का भी रंग है, इसलिए रोशनी और उजास को दर्शाता है। खुशी को प्राथमिक मानकर कई ब्रांड्स जैसे नूडल्स, अमूलबटर पैकेजिंग में पीले रंग का प्रयोग करते हैं। कई स्नैक्स और फूड कंपनियां पीले के साथ लाल रंग का इस्तेमाल भी करती हैं।
लाल : लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का भी प्रतीक है। धार्मिक कार्यों में इसलिए इसे प्राथमिक और पवित्र माना गया है। भूख के साथ–साथ एनर्जी का प्रतीक होने के कारण कई बड़ी फूड कंपनियां जैसे पिज्जा हट, केएफसी, मैकडॉनल्ड अपने ब्रांड नेम में लाल रंग काप्रयोग करती हैं।
हरा : प्रकृति से जुड़ा हुआ रंग होने के कारण प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। गहरा हरा रंगरुपए–पैसे दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह सफ़ाई भी दर्शाता है। हैंडवॉश–सोप आदि के कई ब्रांड्स हरा रंग इस्तेमालकरते हैं।