केजरीवाल ने कहा- मरीजों को असेसमेंट के लिये जबरन कोविड सेंटर ले जाना 15 दिन के हिरासत जैसा

New Delhi : राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या 70 हजार के पार चली गई है लेकिन कोरोना पर राजनीति पीछा छोड़ ही नहीं रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार के बीच इस मुद्दे पर भी रार बढ़ती जा रही है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद अब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने- कोरोना के हर मरीज का अस्पताल में असेसमेंट के फैसले, को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। केजरीवाल ने यहां तक कहा है – यदि मरीजों को जबरदस्ती कोविड सेंटर ले जाया जाता है तो यह 15 दिन हिरासत में रखने जैसा होगा।

अरविंद केजरीवाल ने बुधवार 24 जून को कहा – क्लिनिकल असेसमेंट/समीक्षा के लिये कोविड-19 के प्रत्येक मरीज का सरकारी अस्पताल जाना अनिवार्य करने वाला केंद्र का आदेश सही नहीं है। अगर प्रशासन क्लिनिकल असेसमेंट के लिये मरीजों को जबरदस्ती कोविड केंद्रों में ले जाता है तो यह 15 दिन की हिरासत जैसा होगा। मैं केंद्र से अनुरोध करता हूं कि वह कोविड-19 के प्रत्येक मरीज की जांच सरकारी अस्पताल में कराने की अनिवार्यता का नया आदेश वापस लें।
केजरीवाल ने कोविड-19 देखभाल केंद्र बनाये गये एक बैंक्विट हॉल के दौरे के समय संवाददाताओं से कहा- दिल्ली सरकार, केंद्र और अन्य संगठन एक दूसरे के साथ समन्वय से काम कर रहे हैं। मैं केंद्र से आदेश वापस लेने का अनुरोध करता हूं। नई व्यवस्था के तहत यदि किसी कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को 103 बुखार है तो उसे भी सरकारी केंद्रों में लंबी कतारों में लगना पड़ेगा। केजरीवाल ने कहा कि क्या व्यवस्था इस तरह की होनी चाहिये।

दिल्ली में बुधवार को कोविड-19 के 3,788 नये मामले सामने आये। शहर में अभी तक संक्रमित लोगों की संख्या 70 हजार के पार चली गई है। संक्रमण से राष्ट्रीय राजधानी में अब तक 2,365 लोगों की जान गई है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पिछले सप्ताह एक आदेश जारी करते हुए क्लिनिकल असेसमेंट के लिए कोविड-19 मरीजों का कोविड सेंटर ले जाना अनिवार्य कर दिया था ताकि यह निश्चित किया जा सके कि संक्रमित मरीज होम क्वारंटाइन रह सकता है या या उसे अस्पताल में भर्ती किये जाने की आवश्यकता है।
इससे पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा – उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनसे कोविड-19 मरीजों के क्लिनिकल असेसमेंट के लिये सरकारी केंद्र आने की अनिवार्यता खत्म करने की ‘हाथ जोड़कर’ अपील की है। सिसोदिया ने बढ़ते मामलों के मद्देनजर नई व्यवस्था से सरकारी केंद्रों पर दबाव बढ़ने का हवाला देते हुये कहा कि अगर इस व्यवस्था को खत्म नहीं किया गया तो आने वाले कुछ दिनों में शहर में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

सिसोदिया ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा – दिल्ली में दो मॉडल हैं, पहला शाह मॉडल जिसके तहत कोविड-19 मरीजों का कोविड स्वास्थ्य केंद्र आना अनिवार्य है। दूसरा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मॉडल जिसके तहत जिला प्रशासन की एक चिकित्सीय टीम मरीजों के घर जाकर उनके स्वास्थ्य का मूल्यांकन करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *