केजरीवाल बोले – दिल्ली के हॉस्पिटल सिर्फ दिल्लीवालों के लिये, भाजपा बोली- फैसला अमानवीय

New Delhi : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया – कैबिनेट ने फैसला किया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले सरकारी और निजी अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा। केंद्र सरकार के हॉस्पिटल सभी के लिए खुले रहेंगे। दोनों सरकारों के अस्पतालों में 10-10 हजार बेड हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 8 जून से सभी रेस्तरां, मॉल्स और धार्मिक स्थल खुलने जा रहे हैं।
केजरीवाल के फैसले से सबसे ज्यादा प्रभाव मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों पर पड़ेगा। जहां से भारी संख्या में लोग दिल्ली के अस्पतालों में इलाज कराने जाते हैं। दिल्ली सरकार के फैसले को लेकर यूपी के कई नेताओं ने इसका विरोध किया है।

 

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा – यह फैसला गैर-संवैधानिक है। नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन है। अमानवीय फैसला है। नागरिकता देश की है। प्रदेशों की नहीं होती है। अरविंद केजरीवाल का जो फैसला है, किसी भी मायने में विधि सम्मत नहीं है। मैं अरविंद केजरीवाल से कहूंगा कि वह अपना फैसला वापस लें और देश की जनता से माफी मांगे।
इधर केजरीवाल ने बताया – उनकी सरकार ने पिछले हफ्ते दिल्ली के लोगों की राय मांगी थी। उनमें से 90 फीसदी लोगों का कहना है कि दिल्ली के अस्पताल कोरोना के रहने तक दिल्ली के लोगों के लिये होने चाहिये। सरकार ने इस पर 5 विशेषज्ञों की कमेटी बनाई थी। उसने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली में जून के अंत तक 15 हजार बेड की जरूरत होगी। ऐसे में यहां के अस्पतालों को बाकी लोगों के लिये खोल दिया तो रिजर्व किये गये 9 हजार बेड 3 दिन में भर जायेंगे।
केजरीवाल ने कहा – कुछ निजी अस्पताल जो ऑन्कोलॉजी और न्यूरोलॉजी से जुड़ी विशेष तरह की सर्जरी करते हैं, जिनकी सुविधा देश के बाकी हिस्सों में नहीं है, उनको छूट दी गई है। उनमें देश के बाकी लोग आकर इलाज करा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी होटल और बैंक्वेट हॉल खोलने की अनुमति नहीं दी जा रही, हो सकता है कि आगे जरूरत पड़ने पर इन्हें भी अस्पतालों से अटैच करना पड़े।

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