कानपुर
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है और निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत कानपुरवासियों को मेट्रो सेवाओं की सौगात मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) पूरी निष्ठा के साथ परियोजना का क्रियान्वयन कर रहा है। इस कर्तव्यनिष्ठा का ही परिणाम है कि यूपी मेट्रो के सिविल इंजीनियरों की कुशल टीम ने बहुत ही कम समय में 400 पियर्स (पिलर्स) का काम पूरा कर लिया है। बता दें कि कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत 31 दिसंबर, 2019 की रात को आईआईटी, कानपुर के पास पहला पियर बनकर तैयार हुआ था।
यूपी मेट्रो ने खड़े किए 400 पिलर्स, गुरुदेव तक डबल टी-गर्डर्स का काम भी पूरा
यूपी मेट्रो की टीम ने 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर के अंतर्गत लगभग 7 किमी. तक पियर्स (पिलर्स) का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है। पूरे प्रयॉरिटी कॉरिडोर में कुल 513 पिलर्स का निर्माण होना है, जिनमें से 400 पियर्स बनकर खड़े हो गए हैं। वर्तमान में, रावतपुर मेट्रो स्टेशन तक लगभग सभी पिलर्स तैयार हो चुके हैं और मेट्रो कॉरिडोर के इस हिस्से में सिर्फ़ 20 पिलर्स का निर्माण कार्य बाक़ी है।
इसके अलावा, आईआईटी मेट्रो स्टेशन से लेकर गुरुदेव मेट्रो स्टेशन तक सभी 5 स्टेशनों के कॉनकोर्स (उपरिगामी स्टेशन का पहला तल) का आधार भी तैयार हो चुका है। आईआईटी, कल्याणपुर, एसपीएम हॉस्पिटल, विश्वविद्यालय और गुरुदेव मेट्रो स्टेशनों के सभी डबल टी-गर्डर्स रखे जा चुके हैं। बता दें कि पूरे प्रयॉरिटी कॉरिडोर में 9 मेट्रो स्टेशनों के लिये कुल 434 डबल टी-गर्डर्स का परिनिर्माण (इरेक्शन) होना है, जिनमें से 332 का इरेक्शन पूरा हो चुका है।
यूपी मेट्रो के इंजीनियर दिन-रात इस प्रयास में लगे हुए हैं कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप काम को अच्छी गति के साथ आगे बढ़ाया जाए और साथ ही, सुरक्षा-संरक्षा के सभी इंतज़ामात पुख़्ता रखे जाएं। काम के प्रति मेट्रो इंजीनियरों की इस निष्ठा की सराहना करते हुए, यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक श्री कुमार केशव ने कहा, “कानपुर मेट्रो के निर्माण कार्यों की गति प्रारंभ से ही उम्दा रही है और फलस्वरूप प्रयॉरिटी कॉरिडोर के निर्माण के दौरान यूपी मेट्रो और सिविल कॉन्ट्रैक्टर मेसर्स ऐफ़कॉन्स (AFCONS) की टीम निर्धारित लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने में सफल रही है। इसके बाद भी, हम लगातार अपनी सीमाओं और कार्य-क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं क्योंकि हमारे सामने 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो के ट्रायल रन का दुष्प्राप्य लक्ष्य है, जिसे हमें समय-सीमा से पूर्व प्राप्त करना है।”